
Using Shrimati or Sushree Words not Compulsary for Woman Teachers
वाराणसी. Using Shrimati or Sushree Words not Compulsary for Woman Teachers. महिला टीचर्स को अपने नाम के आगे श्रीमती या सुश्री का प्रयोग करना अब अनिवार्य नहीं होगा। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के महिला महाविद्यालय की एक महिला टीचर ने इस बार में एक मुहिम शुरू की थी। उनकी मुहिम रंग लाई है। अब किसी भी महिला टीचर को अपने नाम से पहले अपनी वैवाहिक स्थिति की पहचान बनाने के लिए सुश्री या श्रीमती जैसे शब्दों का प्रयोग अनिवार्य नहीं करना होगा। अगर वह अपनी मर्जी से करना चाहें तभी ऐसा करें। मुहिम के रंग लाने के साथ ही इसकी शुरुआत भी इसी महाविद्यालय से हुई है। जहां महिला टीचर के नाम के पहले सुश्री या फिर श्रीमती लिखा हुआ नहीं देखा जा रहा है। मुहिम की शुरुआत डॉ. प्रतिमा गौड़ ने की है।
योग्यता के आधार पर चयन, मैरिटल कंडीशन जरूरी नहीं
डॉ. प्रतिमा गौड़ ने इसके पीछे की वजह बताई कि अक्सर देखा जा रहा है कि उनके कॉलेज में चाहे नेम प्लेट हो या फिर सीनियरिटी लिस्ट, हर जगह सुश्री या श्रीमति का उपयोग लिखने में होता रहा है। जबकि उनका चयन मेरिट लिस्ट पर उनकी योग्यता से हुआ है। ऐसे में मैरिटल कंडीशन क्यों शो किया जाए? इसको लेकर कुलपति से पिछले वर्ष मुलाकात कर उन्हें अवगत कराया था। उन्होंने कहा कि कुलपति ने उनके इस प्रयास की काफी सराहना भी की थी। इसमें कोरोना की वजह से थोड़ी देरी हुई लेकिन अब नाम के आगे से मिस या मिसेज लगाना जरूरी नहीं है, यह अच्छी बात भी है।
विभाग के सभी लोगों ने दिया साथ
इस अनूठी पहल में डॉ. प्रतिमा गौड़ का साथ देने वाली समाजशास्त्र विभाग की प्रोफेसर रीता सिंह ने कहा कि यह परिवर्तन की दिशा में बहुत बड़ा कदम होगा। जब यह मुद्दा सामने रखा गया तो उनके विभाग के सारे लोगों ने उनका साथ दिया। वहीं शोध छात्रा शिवानी पाल ने कहा कि जब पुरुष टीचर के नाम के साथ श्रीमान नहीं लगता तो महिला टीचर के नाम के साथ भी ऐसा नहीं होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति की पहचान उसकी योग्यता से होती है।
Published on:
04 Sept 2021 12:43 pm
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