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Gyanvapi case: मुस्लिम पक्ष ने अदालत में कहा-औरंगजेब निर्दयी नहीं था, कोर्ट ने फिर…

Gyanvapi case: ज्ञानवापी विवाद में वाराणसी कोर्ट ने विवाद से जुड़ी सात याचिकाओं की सुनवाई एक साथ करने का फैसला किया है। जिला अदालत में बहस के दौरान मस्जिद पक्ष ने ये दलीलें पेश की।

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Varanasi court rejected arguments of mosque side in Gyanvapi case

ज्ञानवापी केस

Gyanvapi case: ज्ञानवापी विवाद में वाराणसी कोर्ट ने विवाद से जुड़ी सात याचिकाओं की सुनवाई एक साथ करने का फैसला किया है। मंगलवार को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शृंगार गौरी प्रकरण की वादी सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक की ओर से दायर वाद में फैसला सुनाते हुए सभी सात मामलों को क्लब कर दिया। अब इनकी सुनवाई एक साथ होगी। हालांकि इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने ये दलीलें पेश की। जिन्हें कोर्ट ने खारिज कर दिया। आइए आपको बताते हैं कि मस्जिद पक्ष ने कोर्ट में क्या दलीलें पेश की…

ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई के वैज्ञानिक सर्वे की मांग का विरोध करते हुए मस्जिद प्रबंधन की ओर से दाखिल आपत्तियों में लिखा गया है "यह कहना कि कोई पुराने मंदिर को मुसलमान आक्रमणकारी ने आक्रमण करके तोड़ दिया गया और सन 1580 में उसी स्‍थान पर राजा टोडरमल ने मंदिर की पुनः स्‍थापना की, यह सरासर गलत और झूठ है।" हिन्दू पक्ष की एएसआई सर्वे की याचिका पर आपत्ति जताते हुए मस्जिद पक्ष ने कहा "वादीगण दुर्भाग्यवश हिन्दू-मुसलमान के बीच नफरत पैदा करने के लिए मुस्लिम शासकों को आक्रमणकारी कह रहे हैं। यह सत्य से परे है।"

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औरंगजेब ने नहीं तुड़वाया था आदि विश्वेश्वर मंदिर
मस्जिद पक्ष ने आगे कहा "मुगल बादशाह औरंगजेब कतई निर्दयी नहीं था, उसके फरमान से 1669 में न तो लॉर्ड आदि विश्वेश्वर मंदिर वाराणसी में तोड़ा गया और न ही काशी में कभी दो काशी विश्वनाथ मंदिर की कोई धारणा थी। आज भी नहीं है।" मस्जिद समिति ने यह भी कहा कि एएसआई सर्वे पर कुछ दिन पहले 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और मामला अभी वहां लंबित है।

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिना ज्ञानवापी मस्जिद में कथित शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए उसके वैज्ञानिक जांच की आदेश दिए थे। जिसे मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वहीं मंगलवार को वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में देवी-देवताओं की पूजा की मांग को लेकर की गई महिलाओं की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया और मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज कर दी।

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पिछले साल अगस्त में दिल्ली की एक महिला राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में श्रृंगार गौरी और कुछ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन की अनुमति की मांग करते हुए एक याचिका दाख़िल की थी। अंजुमन इस्लामिया मस्जिद कमिटी ने हिंदू पक्ष द्वारा दायर की याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ये उपासना स्थल (विशेष उपबंध) और वक़्फ़ कानून का उल्लंघन होगा।