
रिक्शा चालक का बेटा IAS गोविंद जायसवाल, जानें सबकुछ
IAS Officer Govind Jaiswal: 'कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों किसने लिखा है; कवि दुष्यंत कुमार की पंक्तियां काशी के रहने वाले आईएएस ऑफिसर गोविंद जायसवाल पर सटीक बैठती हैं। 10 साल की उम्र में मां की मौत, पिता की दिक्कतें और रोना देख कर बड़े हुए काशी के रिक्शा चालक नारायण जायसवाल के होनहार बेटे गोविंद ने कम संसाधनों के बाद भी हरिश्चंद्र पीजी कालेज से मैथ से बीएएसी की और रिक्शा चालाक पिता के सहयोग से दिल्ली जाकर सिविल सर्विसेज की तैयारी की, पिता की आंखों के आंसूंओं के बीच पढ़े और सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे गोविंद ने पिता को मायूस नहीं किया और महज 22 साल की उम्र में फैर्स्ट अटेम्प्ट में ही 48वीं रैक लाकर पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। उनके ऊपर हाल ही में 'अब दिल्ली दूर नहीं' नाम से फिल्म भी बनाई गई।
पिता नारायण चलवाते थे 35 रिक्शे, पर...
काशी के रहने वाले नारायण जायसवाल के पास 35 पैंडिल रिक्शा थे। इन रिक्शों को वो चलवाते थे और अपने परिवार के साथ खुश थे। अचानक नारायण की पत्नी को बिमारी ने घेर लिया। डॉक्टर्स के यहां गए तो डॉक्टर्स ने उन्हें सेप्टिक बताया। सेप्टिक का इलाज था पर तेजी से इंफेक्शन बढ़ रहा था और नारायण की पत्नी और मौजूदा आईएस गोविंद की मां चल बसी जबकि अपनी पत्नी के बेहतर इलाज के लिए नारायण जायसवाल ने अपने 20 रिक्शे भी बेच दिए, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका और साल 1995 में उन्होंने दम तोड़ दिया।
मां की मौत के बाद पिता ने संभाला
मां ने 10 साल की उम्र में ही गोविंद का साथ छोड़ दिया। इसके बाद पिता नारायण जायसवाल आंखों में आसुओं का दरिया छुपाए अपने बेटे की परवरिश में लग गए। अभी भी उनके पास 15 रिक्शे थे जिन्हे चलवाकर उनके परिवार का भरण पोषण हो रहा था पर वह अब नाकाफी था क्योंकि गोविंद की पढ़ाई बढ़ रही थी। इंटर केलेज के बाद हरिश्चंद्र डिग्री कालेज से मैथ से बीएएसी कर गोविंद ने सिविल सर्विसेज की तैयारी की बात कही तो पिता ने पैसों के न होने की बात कही पर उन्हें भगवान पर भरोसा जताने को कहा।
बेच दिए रिक्शा, गलियों में खुद चलाने लगे
नारायण ने अपने बेटे गोविंद का सपना पूरा करने के लिए अपने 15 में से 14 रिक्शे और बेच दिए। इस बात का पता गोविंद को चला तो उन्हें अच्छा नहीं लगा पर यह बात उनके दिल में लग गई। इस बात को दिल से लगाए गोविंद दिल्ली पहुंचे और वह तैयारी शुरू कर दी। इधर नारायण काशी की गलियों में रिक्शा चलाने लगे। पिता के सम्मान के लिए सिविल सर्विसेज की परीक्षा में साल 2006 में बैठे गोविंद जायसवाल ने पहले ही अटेम्प्ट में 48वीं रैंक पाकर यह परीक्षा पास कर ली। इस बात का पता चला पिता को तो उन्होंने पूरे मोहल्ले में मिठाइयां बांटी।
गोविंद और उनके पिता पर बनी फिल्म
साल 2023 में मई के महीने में आईएएस गोविंद और उनके पिता नारायण जायसवाल पर एक फिल्म 'अब दिल्ली दूर नहीं; भी बनाई गई। फिल्म का निर्देशन कमल चंद्र ने किया और गोविंद का रोल इमरान जाहिद ने निभाया। आईएएस गोविंद कुमार उन अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा हैं जो संसाधनों के बिना तैयारियों के लिए दिन रात जूझते हैं और पहले अटेम्प्ट में न होने पर सिविल सर्विसेज को छोड़ देते हैं।
Published on:
15 Nov 2023 09:01 am
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