आठ पुलिस वालों की हत्या करने वाला दुर्दांत माफिया विकास दुबे पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। उसने दुर्दांत माफिया विकास दुबे पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। यूपी पुलिस के जांबाज़ों ने जवाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया।यों में खौफ लाज़मी है। यूपी पुलिस में कई ऐसे जांबाज अफसर हैं, जिनके नाम से ही बदमाश खौफ खाते हैं। इनकी पोस्टिंग अपने इलाके में होते ही बदमाश अंडरग्राउंड हो जाते हैं।
वाराणसी. कानपुर के चौबेपुर थाना के बिकरु में एनकाउंटर में आठ पुलिस वालों की हत्या करने वाला दुर्दांत माफिया विकास दुबे पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। उसने दुर्दांत माफिया विकास दुबे पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। यूपी पुलिस के जांबाज़ों ने जवाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया।यों में खौफ लाज़मी है। यूपी पुलिस में कई ऐसे जांबाज अफसर हैं, जिनके नाम से ही बदमाश खौफ खाते हैं। इनकी पोस्टिंग अपने इलाके में होते ही बदमाश अंडरग्राउंड हो जाते हैं। हम आपको ऐसे ही पुलिस ऑफिसर्स के बारे में बताने जा रहा है, जिन पर यूपी पुलिस के साथ-साथ आम जनता को भी नाज होता है। यहां तक कि इन बहादुर अफसरों पर बॉलीवुड में फिल्मे भी बनी हैं।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट नवनीत सिकेरा
यूपी के सबसे तेजतर्रार पुलिस अफसरों में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट नवनीत सिकेरा का नाम सबसे आगे रहता है। लखनऊ में आतंक पर्याय बने कुख्यात गैंगस्टर रमेश कालिया का उन्होंने जिस तरह से सफाया किया काबिल ए तारीफ है। पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए बाराती बनकर में राजधानी नीलमत्था के एक मकान में पहुंचती है। पुलिस और कालिया के गुर्गों के बीच मुठभेड़ करीब 20 मिनट चलती है और कालिया मारा जाता है।
आईपीएस अरुण कुमार
यूपी एसटीएफ का जब भी ज़िक्र होगा आईपीएस अरुण कुमार का नाम ज़रूर लिया जाएगा। उन्हीं के नेतृत्व में यूपी एसटीएफ का गठन हुआ था। सीएम कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी लेने वाले बदमाश श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर उन्होंने ही किया था। 4 मई 1998 को यूपी पुलिस के 50 बेहतरीन जवानों को छांट कर एसटीएफ का गठन किया गया और इसका पहला टास्क श्रीप्रकाश शुक्ला का खात्मा था।
23 सितंबर 1998 को जैसे ही खबर मिली कि श्रीप्रकाश शुक्ला दिल्ली से गाजियाबाद की तरफ आ रहा है। वसुंधरा एन्क्लेव पार करते ही अरुण कुमार सहित एसटीएफ ने उसका पीछा शुरू कर दिया। उसकी कार को ओवरटेक कर रास्ता रोककर सरेंडर के लिये करने को कहने पर उसकी ओर से फायरिंग हुई तो जवाबी फायरिंग में श्रीप्रकाश शुक्ला मारा गया। इसके बाद अरुण कुमार का खौफ बदमाशों का सिर चढकर बोलता है। उनकी इसी बहादुरी और एसटीएफ के गठन को लेकर बॉलीवुड फिल्म सहर भी बनी है।
अनिरुद्ध सिंह
हाल ही में योगी सरकार द्वारा डिप्टी एसपी बनाए गए यूपी पुलिस के तेज तर्राज अफसर अनिरुद्ध सिंह का सबसे चर्चित एनकाउंटर साल 2005 में वाराणसी का रहा। बनारस में तैनाती के दौरान 50 हजार के ईनामी बदमाश ने गिरफ्तारी के डर से उन्हें गोली मार दी। घायल होने के बावजूद अनिरुद्ध सिंह ने अकेले ही उसे ढेर कर दिया। हालांकि उच्चाधिकारियों ने इसे पब्लिक आउटरेज बताया। यूपी, छत्तीसगढ़, बिहार और मध्य प्रदेश में आतंक मचाने वाले तीन लाख रुपये का ईनामी नक्सली सुनील कोल का खात्मा अनिरुद्ध सिंह ने ही किया। कोल पर 60 से ज्यादा हत्याएं करने का आरोप था।
आईपीएस अमिताभ यश
मूल रूप से बिहार के रहने वाले आईपीएस अमिताभ यश अपने सख्त रवैये के लिये पहचाने जाते हैं। एसटीएफ में रहकर करीब तीन दर्जन से ज्यादा बदमाशों को मार गिराया। इसके अलावा कई दर्जन एनकाउंटर करने वाली टीमों को उन्होंने गाइड और लीड भी किया। उनके बारे में यहां तक मशहूर हो गया कि जिस जिले उनकी तैनाती होती है वहां से अपराधी या तो ज़मानत तुड़वाकर जेल चले जाते हैं या फिर जिला छोड़ देते हैं। हालांकि ऐसे कई वाकये भी सामने आये जब अपराधियों पर सख्ती के चलते उनका ट्रांसफर। पर इससे उनके तेज़ तर्रार अंदाज़ और तेवर में कोई कमी नहीं आयी। यही वजह रही कि एसटीएफ के अलावा जब-जब उन्हें जिलों में तैनाती मिली तो टास्क पूरा होने के बाद उन्हें फिर एसटीएफ में ही भेज दिया गया।
आईपीएस अनंत देव
दस्यु सरगनाओं के सफाए का ज़िक्र आता है तो आईपीएस अनंत देव का नाम अपने आप आ जाता है। उन्हें चंबल की घाटियों के दुर्दांत दस्युओं के सफाए की जिम्मेदारी मिली। वह अपनी टीम के साथ काफी दिनों तक जंगलों की खाक छानते रहे। आखिरकार आखिरकार उन्होंने यूपी में आतंक का पर्याय बने ददुआ का काम तमाम कर उसका आतंक ख़त्म किया। हालांकि, इसी बीच ठोकिया गैंग ने छह पुलिसकर्मियों को मारकर एसटीएफ को चुनौती दी तो वह साथियों समेत मारा गया।
डीएसपी राहुल श्रीवास्तव
तैनात डिप्टी एसपी राहुल श्रीवास्तव उन अधिकारियों में शामिल हैं, जिनके लिए अधिकारी अपने सीनियर्स से भी लड़ जाते थे। एक समय पनिश्मेंट पोस्टिंग के लिए पीटीसी सीतापुर में तैनात किया गया, लेकिन उनके क्राइम पर वर्क और एनकाउंटर्स को देखते हुए तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह ने लखनऊ में तैनात कर राजधानी को अपराधियों से मुक्त करने का टास्क दिया। राहुल श्रीवास्तव ने लखनऊ में उस समय दो बड़े बदमाशों को मारकर डीजीपी के भरोसे को कायम रखा।
आईपीएस अखिल कुमार
आईपीएस अखिल कुमार कुख्यात डकैत निर्भय गुर्जर के एनकाउंटर के बाद सुर्खियों में आए। साल 2010 में लखनऊ में उन्होंने करीब दर्जन भर एनकाउंटर करके बदमाशों का आतंक खत्म किया। लखनऊ में उनके कार्यकाल के दौरान दर्जनभर अपराधियों को पुलिस ने मार गिराया।