
euthanasia
वाराणसी. पीएम नरेन्द्र मोदी ने गरीबों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए आयुष्मान योजना शुरू की है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ अलग ही दिख रही है। पीएम के ही संसदीय क्षेत्र में एक महिला ने दो बच्चों के साथ कचहरी परिसर पहुंची और इच्छा मृत्यु देने की मांग की। महिला ने कहा कि न रोटी मिली न इलाज। बीमार पति का इलाज कराने में गहने से लेकर सब कुछ बिक गया। अब जीकर क्या होगा।
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चोलापुर मुरेरी गांव निवासी सुमन मिश्रा के पति संजय मिश्रा प्राइवेट नौकरी करते थे लेकिन पिछले एक साल से वह संजय किडनी की बीमारी से पीडि़त हैं। दोनों किडनी खराब हो जाने के चलते उनकी नौकरी चली गयी थी और डायलिसिस कराने में पत्नी का गहना व सारे पैसे खत्म हो गये। एक तरफ पति बिस्तर पर पड़ा है तो दूसरी तरफ महिला के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सुमन मिश्रा ने पति के तबयत बिगडऩे पर आयुष्मान योजना के लिए कई बार आवदेन किया था लेकिन योजना को लाभ नहीं मिल सका।
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बच्चों की भूख नहीं देखी गयी तो मांगी इच्छा मृत्यु
सुमन के पास पैसे नहीं है। एक तरफ पति की डायलिसिस करानी है तो दूसरी तरफ बच्चों का पेट भरना है। सुमन ने जब बच्चों का पेट नहीं भर पायी तो वह टूट गयी और कचहरी जाकर इच्छा मृत्यु की मांग करने लगी। कचहरी में ही कई लोगों ने सुमन को बताया कि वह चंदौली संसदीय सीट की निवासी है इसलिए वहां के सांसद केन्द्रीय मंत्री डा.महेन्द्रनाथ पांडये से मदद मांगनी चाहिए। जबकि अन्य लोगों ने उसे पीएम मोदी के जनसम्पर्क कार्यालय में जाने की बात कही। सुमन का कहना है कि एक तरफ पैसा नहीं होने से बीमारी से उसका पति मर रहा है तो दूसरी तरफ बच्चों का पेट भी नहीं भर पा रही है। यदि आयुष्मान योजन का कार्ड बन गया होता तो पति के इलाज में मदद मिल जाती है। ऐसी बेबसी में वह जीना नहीं चाहती है इसलिए इच्छा मृत्यु मांगना पड़ा।
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Published on:
07 Sept 2019 07:06 pm
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