#NagPanchami2019-नाग पंचमी से काशी के इस खेल का है पुराना रिश्ता, जानें अबकी क्या होने जा रहा है नया…
नाग पंचमी से बनारसी पहलवानी का पुराना रिश्ता रहा हैदिन विशेष को अखाड़ों में पहलवान अपना करतब दिखाते रहे गदा, जोडड़ी दंगल मशहूर रहा अब इस फन में महिलाओं ने भी अपना दबदबा बना लिया हैइस बार नागपंचमी को संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में महिला पहलवान दिखाएंगी अपने कारनामें
डॉ संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में कुश्ती के दांव सीखती महिला पहलवान
वाराणसी. कभी पहलवानो की नर्सरी कही जाने वाली काशी का कुस्ती से नागपंचमी का रहा है पुराना रिश्ता। नागपंचमी से पहले ही काशी के अखाड़ों की रंगाई पोताई से लेकर अखाड़ों की मिट्टी की कोड़ाई संग उसे नया स्वरूप देने का काम शुरू हो जाता रहा है। वक्त बदला अब मिट्टी के परंपरागत अखाड़ों की जगह ले ली गद्दे वाले अखाड़ों ने। उसी तरह पुरुषों के वर्चस्व वाले इस खेल में महिला पहलवानों ने भी अपना दबदबा कायम कर लिया है। अब नागपंचमी पर महिला पहलवान भी अपने स्किल का प्रदर्शन करती हैं। हालांकि यह सब बमुश्किल दो साल पहले ही शुरू हुआ और इसकी शुरूआत की गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित तुलसीदास अखाड़े ने। इस बार डॉ संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में महिला पहलवान अपन स्किल का प्रदर्शन करेंगी। इसकी तैयारी तेजी से चल रही है।
सिगरा स्थित संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में इन दिनों नागपंचमी पर गदा व जोड़ी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए महिला पहलवान प्रशिक्षक गोरखनाथ यादव की देखरेख में अभ्यास करती देखी जा सकती हैं। जिस भारी भरकम गदा को लड़के असानी से नहीं फेर पाते उसपर राजेश्वरी, भावना, प्रीति सिंह, अर्चना प्रजापति, खुशबू कुमारी, मधु चौरसिया, कामिनी रियाज कर रही हैं। एक अगस्त तक प्रशिक्षण के बाद ये अखाड़े में उतरेंगी। कुश्ती कोच गोरखनाथ यादव ने पत्रिका को बताया कि नाग पंचमी पर इस बार महिलाओं की जोड़ी, गदा, डंबल प्रतियोगिता करायी जा रही है। यह पहली बार है। बनारस में एक नई परंपरा की शुरूआत होगी।
यानी सुबह-शाम पूरे बदन में अखाड़ों की मिट्टी पोतकर दांव सीखने और जोड़ी-गदा फेरने वाले शहर बनारस में नागपंचमी के दिन महिला पहलवानों का दमखम दिखेगा। बता दें कि बनारस के अखाड़ों में कुश्ती, गदा-जोड़ी व नाल फेरने को दूर-दूर से पहलवान आते रहे हैं। बदलते दौर में जिम की वजह से तस्वीर बदलता गया। अखाड़ों में सन्नाटा सा दिखने लगा था लेकिन अब इस सन्नाटे को तोड़ने के लिए बालिकाएं आगे आ रही हैं।
वैसे सम्पूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम के कुश्ती कोच गोरखनाथ यादव ही हैं जिन्होंने महिला पहलवानों की नर्सरी तैयार करने का बीड़ा उठाया। अपने इस अभियान के तहत वह स्कूलों में जाकर कक्षा 6 से 8 तक की बालिकाओं को कुश्ती सीखने के लिए मन से तैयार करने का काम करते हैं। परिवार से रोक टोक होने पर अभिभावकों को समझाने घर भी पहुंच जाते हैं। अब तक वह 60 महिला पहलवानों को तैयार कर चुके हैं। इंटरनेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हिमांशी यादव व पूजा यादव के अलावा आठ नेशनल प्लेयर और 22 राज्य स्तर की पहलवान देने का रिकार्ड इनके नाम है। बदलती तस्वीर के बीच सम्पूर्णानंद स्टेडियम के कुश्ती हॉल में मैट पर पहलवानी का गुर सीखने को लड़कियों की संख्या बढ़ रही है।
यानी सुबह-शाम पूरे बदन में अखाड़ों की मिट्टी पोतकर दांव सीखने और जोड़ी-गदा फेरने वाले शहर बनारस में नागपंचमी के दिन महिला पहलवानों का दमखम दिखेगा। बता दें कि बनारस के अखाड़ों में कुश्ती, गदा-जोड़ी व नाल फेरने को दूर-दूर से पहलवान आते रहे हैं। बदलते दौर में जिम की वजह से तस्वीर बदलता गया। अखाड़ों में सन्नाटा सा दिखने लगा था लेकिन अब इस सन्नाटे को तोड़ने के लिए बालिकाएं आगे आ रही हैं।
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