पुष्कर (अजमेर). मेला मैदान में ब्रह्मा शिवमहापुराण कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यासपीठ से कथामृत बरसाते हुए शिवतत्व की महिमा बताई। सती के देहत्याग के बाद हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लेने से लेेकर शिव पार्वती विवाह तक का वर्णन किया गया। शिव विवाह की कथा में श्रोता झूम उठे। इस दौरान पुष्कर तीर्थ की उत्पत्ति के लिए आयोजित यज्ञ में ब्रह्मा सावित्री की कथा का वर्णन भी किया गया।
पंडित मिश्रा ने कहा कि संसार में कोई बुरा नहीं है। कर्म बुरे होते हैं। उन्होंने कहा कि जब निर्णय लेने का वक्त आए तो शिव का ध्यान करके निर्णय लो। यदि निर्णय नहीं कर पाओ तब माता-पिता के सामने या सद्गुरु के सामने जाकर विचार करना। इसके बाद भी निर्णय लेने में चित्त काम नहीं कर रहा हो तो सात दिन शिवपुराण में जाकर बैठ जाना। सब अच्छा ही होगा। भोलेनाथ को पाने के लिए अहंकार छोड़ना पड़ता है। रावण, कौरव और कंस अभिमान में ही चले गए। उन्होंने कहा कि कथा सुनते समय, नदी में स्नान करते समय, पूजा करते समय, मंदिर में जाते समय, कभी मन में गलत विचार मत लाना। वर्ना उसी के अनुसार तुरन्त फल मिल जाता है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान के प्रश्न बडे जटिल होते हैं। सालासार में कथा के दौरान एक ने प्रश्न पूछ लिया कि संत, ब्राह्मण, गुरु, कथावाचक धन क्यों लेते हैं तो मैंने कहा कि माया रोती है। इसलिए माय की काया पलटने के लिए माया ली जाती है।
दुर्गा रूप धारण कर करती हैं रक्षा
पंडित मिश्रा ने कहा कि शिवमहापुराण में नारी को अबला नहीं कहा गया है, जब-जब आफत आती है तब-तब वही दुर्गा का रूप धरकर रक्षा करती है। पुष्कर में कथा के दौरान लगातार तीन दिन से बरसात में आए श्रोताओं के ठहरने के लिए नि:शुल्क कमरे देने पर पंडित मिश्रा ने व्यासपीठ से पुष्कर की धरा कोे प्रणाम कर साधुवाद दिया।
मनोकामना हुईं पूरी
अजमेर निवासी श्रोता शिवकथा के दौरान पुत्र की प्राप्ति होना बताते हुए मंच पर आई तो पंडित मिश्रा ने बालक को गोद में उठाकर आशीर्वाद दिया। महिला ने बताया कि उसके पुत्र नहीं होने पर ससुराल वाले ताना देते थे। इसी तरह परबतसर की महिला ने सालासर कथा में मांगी दामाद की नौकरी की मनोकामना पूरी होने और रेलवे में नौकरी लगने की जानकारी दी।