अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) की ओर से गौर पूर्णिमा (फाल्गुनी पूर्णिमा) पर्व शास्त्री नगर लोहागल रोड िस्थत एक समारोह स्थल में मनाया गया। प्रारंभ में हरिनाम संकीर्तन किया गया। कलियुग में हरिनाम संकीर्तन के प्रवर्तक चैतन्य महाप्रभु एवं नित्यानंद प्रभु की आरती एवं उनका पंचामृत से महाअभिषेक किया गया। इस अवसर पर 56 भोग की झांकी सजाई गई।चैतन्य चरण प्रभु ने प्रवचन में बताया कि हृदय का परिवर्तन ही सबसे बड़ा परिवर्तन है। उन्होंने बताया कि हरिनाम के प्रभाव से पापी व्यक्ति भी शुद्ध हो जाता है। उन्होंने कलियुग के युग धर्म हरिनाम संकीर्तन एवं भक्ति के सभी नौ अंगों में श्रवण को सबसे महत्वपूर्ण अंग बताया। श्यामानंद प्रभु ने मानव जीवन के चरम लक्ष्य आनंद प्राप्ति के लिए भक्ति मार्ग को स्वीकार करने की बात कही। प्रवचन के बाद भक्तों ने राधा माधव, भगवान जगन्नाथ एवं गौर निताई के साथ फूलों की होली खेली। कार्यक्रम का समापन गौर आरती कीर्तन, नृत्य एवं प्रसाद वितरण के साथ किया गया।