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Problem: एक्रिडिटेशन से मिलती है पहचान, इंजीनियरिंग कॉलेज अंजान

सर्टिफिकेट को लेकर स्थिति साफ नहीं है। यहां लगातार प्राचार्य बदल रहे हैं। लेकिन एक्रिडिटेशन का काम रफ्तार नहीं पकड़ रहा है।

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

इंजीनियरिंग कॉलेज बड़लिया ने विभिन्न ब्रांच (branch) के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन (नैब) से सर्टिफिकेट नहीं लिया है। ब्रांचवार ऑनलाइन आवेदन (online application) किए गए थे, लेकिन सर्टिफिकेट को लेकर स्थिति साफ नहीं है। यहां लगातार प्राचार्य बदल रहे हैं। लेकिन एक्रिडिटेशन (accreditation) का काम रफ्तार नहीं पकड़ रहा है।

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देश के तकनीकी शिक्षण संस्थानों (institutes) और इंजीनियरिंग कॉलेज (engineering college) में विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तकनीकी विश्वविद्यालयों (technical university) और इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए नैब (नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन) का मूल्यांकन अनिवार्य (compulsory) कर दिया है। इन संस्थानों को नियमानुसार नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन (NAB) से सर्टिफिकेट लेना जरूरी है। इंजीनियरिंग कॉलेज ने बीते वर्ष नैब टीम बुलाने का फैसला किया था, पर ऐसा नहीं हो सका।

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ऑनलाइन भरे थे फार्म
इंजीनियरिंग कॉलेज में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स एन्ड कम्यूनिकेशन, कम्प्यूटर साइंस एवं आईटी, मैकेनिकल, ईआईसी और अन्य ब्रांच संचालित हैं। सभी ब्रांच मई-जून में नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन के तयशुदा नियमों (rules and regulations) के तहत सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया। इसके बाद नैब टीम (NAB Team) के दौरे अथवा सर्टिफिकेट (certificate) को लेकर असमंजस की स्थिति है।

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नहीं शुरू हुए ये कोर्स

-नैनो टेक्नोलॉजी
-सोलर एनर्जी एन्ड रिन्यूएबल सोर्स

-मैनेजमेंट विद एन्टप्रन्योरशिप
-एन्वायरमेंटल इन्फॉरमेटिक्स

(कॉलेज ने भेजा था एआईसीटी को प्रस्ताव)

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किसी ब्रांच में नहीं प्रोफेसर वर्ष
1996-97 के बाद खुले प्रदेश के अधिकांश इंजीयनियरिंग कॉलेजों में किसी ब्रांच में प्रोफेसर (professor) नहीं है। सभी कॉलेज रीडर (reader) और लेक्चरर (lecturer) के भरोसे कॉलेज संचालित हैं। नियमानुसार कॉलेजों में पीजी पाठ्यक्रमों के लिए संबंधित ब्रांच में प्रोफेसर और ग्रेडिंग आवश्यक है। इंजीनियरिंग कॉलेज बड़लिया ने परिषद से नियमों में शिथिलता देने का आग्रह भी किया था।

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नैब से कॉलेज का एक्रिडिटेशन कराना है। सभी ब्रांच की स्थिति मालूम की जाएगी। इसके बाद प्रयास करेंगे।
डॉ. उमा शंकर मोदानी कार्यवाहक प्राचार्य

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