– सामाजिक दायरा मोबाइल तक सीमित, प्रत्यक्ष वार्तालाप से घटता है मानसिक तनाव
– राष्ट्रीय फिजियोलॉजी कॉन्फ्रेंस : देशभर के फिजियोलॉजी विशेषज्ञ पहुंचे अजमेर
अजमेर. बच्चे के स्कूल में दाखिला लेने से लेकर रोजगार के लिए संघर्षमय जीवन से लोगों में स्ट्रेस, डिप्रेशन या एंजायटी जैसी मानसिक बामारियां बच्चों से लेकर महिलाओं तक प्रभाव डाल रही हैं। इससे तनाव के लिए मेडिकल विशेषज्ञों या मानसिक रोग विशेषज्ञों से परामर्श लेने में गुरेज नहीं करना चाहिए। यह बात एम्स जोधपुर से आईं फिजियोलॉजिकल सोसायटी इंडिया राजस्थान शाखा की उपाध्यक्ष डॉ. भारती मेहता ने शनिवार को कही। वह मेडिकल कॉलेज परिसर िस्थत भीमराव अंबेडकर सभागार में सोसायटी की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिस्सा लेने पहुंची।
राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत में उन्होंने समाज में बढ़ते तनाव की प्रमुख वजह बताईं। उन्होंने कहा कि इनमें बच्चे में बाल्यकाल से ही प्रतिस्पर्धा की भावना, लाइफ स्टाइल, सामाजिक दायरा केवल मोबाइल या इंटरनेट तक होता है। उनका कहना है कि जब आप हमउम्र या सखा से बात करोगे तभी वास्तव में तनाव दूर होगा।
जीवन शैली फिजियोलॉजी का हिस्सा
उन्होंने कहा कि जीवन शैली भी एक प्रकार से फिजियाेलॉजी का हिस्सा है। इसके लिए मेडिकल टर्म में ऑटोमाॅटिव फंक्शन टेस्ट किया जाता है। यह सिम्पेथेटिक व पेरासिम्पेथेटिक शरीर क्रियाएं हैं। जैसे सांस लेना, तेज दौड़ने पर धड़कन बढ़ जाना आदि होती हैं। उन्होंने कहा कि योगाभ्यास व व्यायाम से शरीर क्रियाओं के अनुपात को संतुलित किया जा सकता है।
पत्रवाचन व शोध पर चर्चा
उन्होंने कहा कि अजमेर में रविवार को संपन्न होने वाली गोष्ठी में रेजीडेंट को ओरल प्रजेंटेशन व मौखिक प्रेजेंटेशन करना होता है। गोष्ठी में वक्ताओं को मेडिकल कॉलेज में कौशल विकास को भी महत्व दिया जा रहा है। केवल पुस्तकें पढ़ने से नहीं वरन ब्लड प्रेशर नापना प्रेक्टिकल रूप से भी आना चाहिए।