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देश की स्वाधीनता में किसान आंदोलनों का बताया महत्व व योगदान

राजकीय महाविद्यालय राजगढ़ में इतिहास परिषद की एक दिवसीय संगोष्ठी

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अलवर. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजगढ़ में प्राचार्य डॉ. राव सज्जन ङ्क्षसह की अध्यक्षता में इतिहास विभाग की ओर से 19 व 20वीं सदी में राजस्थान में किसान आंदोलन विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता भारतीय किसान संघ की महिला जिला प्रमुख डॉ. यशोदा मीणा रहीं। संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया।
मुख्य अतिथि डॉ. मीणा ने राजस्थान के स्वाधीनता संग्राम में किसान आंदोलनों की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए राजपूताना के बिजौलिया, बेंगू, सीकर-शेखावाटी, टोंक तथा अलवर- भरतपुर के किसान आंदोलनों की जानकारी दी। सामंती और शासकीय अत्याचारों, दमन तथा शोषण के खिलाफ किसानों ने अङ्क्षहसात्मक तरीके से आंदोलन चलाया। जिसमें राष्ट्रीय-स्थानीय नेताओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, समाचार पत्र-पत्रिकाओं आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होंने विविध उदाहरणों के माध्यम से ब्रिटिश तथा शासकीय अत्याचारों से कृषक संघर्ष को समझाया। प्राचार्य डॉ. राव सज्जन ङ्क्षसह ने किसान आंदोलनों के महत्व को बताते हुए देश की स्वाधीनता में उनका योगदान समझाया। इससे पूर्व इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. जगत सिंह मीणा ने इतिहास परिषद की ओर से आयोजित वार्षिक गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर इतिहास परिषद द्वारा आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता तथा सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र लेखन विजेताओं को सम्मानित किया। एमए उत्तराद्र्ध के विद्यार्थियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया। मंच संचालन विभाग की सदस्या डॉ. रजनी मीणा ने किया।