राजगढ़.आषाढ़ शुक्ला षष्ठी शुक्रवार की शाम भगवान जगन्नाथजी और माता जानकी परिणय सूत्र में बंध गए।मन्दिर महन्त पूरणदास व पण्डित मदन मोहन शास्त्री ने बताया कि कस्बे के गंगाबाग में जगन्नाथजी के मेले के पांचवें दिन शुक्रवार देर शाम वरमाला महोत्सव हुआ।
जगन्नाथरी की रथयात्रा महोत्सव के तहत शुक्रवार को माता जानकीजी और भगवान जगन्नाथजी का पाणिग्रहण संस्कार वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ। इस मौके पर भगवान जगन्नाथजी व माता जानकीजी को दिल्ली व जयपुर के आकर्षक मोगरे व कमल के फूलों की बनी 11 फीट की वरमाला भेंट की गई। भगवान की झांकी की झलक पाने को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। विवाह के दौरान कन्यादान किया। इससे पहले कस्बे के चौपड़ बाजार स्थित प्राचीन जगदीशजी मंदिर से देर शाम गाजे-बाजे के साथ जानकी माता की सवारी गंगाबाग पहुंची। वहां पुष्प वर्षा की गई। भगवान जगन्नाथजी के जयकारों से मेला स्थल गूंज उठा।
दूल्हे बने जगन्नाथजी की परिक्रमा की, यह देर रात तक जारी रही। बारातियों के लिए स्नेह भोज हुआ। ठिकाना गंगाबाग में भण्डारा किया। मंहत पूरणदास व पण्डित मदनमोहन शास्त्री बारातियों के साथ ठिकाना गंगा बाग पहुंचे। जहां वधू पक्ष की ओर से ठिकाना गंगाबाग के महन्त प्रकाश ने पुष्पवर्षा कर भगवान की अगवानी की। इस दौरान ब्राह्मण समाज अध्यक्ष राजेश शर्मा, विजय समर्थलाल मीना, मोहन बोहरा, विजय गोयल सहित सैकडों श्रद्धालु मौजूद रहे। आषाढ शुक्ला सप्तमी व अष्टमी को गंगाबाग में भराभर का मेला भरेगा। इसके अगले दिन 15 जुलाई को भगवान जगन्नाथजी माता जानकी को ब्याह कर रथ पर सवार होकर गंगाबाग से वापस चौपड़ बाजार स्थित मंदिर लौट आएंगे।
हर कदम मेले की ओर-
गंगाबाग में भगवान जगन्नाथ मेले में कस्बा सहित आसपास के गांवों से सुबह से देर रात तक आने जाने का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ व जानकी मैया के दर्शन किए। महिलाओं ने जरूरतमंद व श्रृंगार वस्तुओं की खरीदारी की। मंगलमय गीत गाए।