सरिस्का : जमीन नहीं अब कत्थे के पेड़ पर चढ़कर शिकार करने लगा कोबरा…पेट भरने का ऐसा पहला मामला
– ब्रह्मनाथ एनिकट एरिया में देखा गया यह मामला, गिलहरी के बच्चों का किया शिकार, अब वहीं पर सांप अपना ठिकाना तलाश रहा
– वन विभाग के अफसर, रेंजर, गाइड आदि सब हैरत में, कोबरा जमीन पर रहकर खाता है मेंढक, छिपकली, चूहे आदि, पेड़ पर चढ़ने के कयास लगाए जा रहे
अलवर. सरिस्का…एक टाइगर रिजर्व एरिया। यहां के टाइगरों के शिकार करने के किस्से तो आपने सुने होंगे लेकिन किंग कोबरा के पेड़ पर चढ़कर शिकार करने का ऐसा पहला मामला सामने आया है। इसे देखकर व सुनकर अफसर से लेकर हर कोई हैरान है। सभी कयास लगा रहे हैं कि कोबरा कैसे पेड़ पर चढ़ सकता है। पर्यटक जो देखे इसे देखते ही रह गए। किसी ने फोटो शूट की तो किसी ने वीडियो बनाई। बताते हैं कि कोबरा को शिकार ऐसा भाया कि अब वह पेड़ पर ही ठिकाना तलाश रहा है। कोबरा की लंबाई करीब छह फीट है।
मामला सरिस्का के ब्रह्मनाथ एनिकट एरिया का है। यहां की रानी एसटी-7 है। इस क्षेत्र में पानी से लेकर जानवरों के खाने के पूरे बंदोबस्त हैं। इस एरिया में कोबरा की संख्या हजारों में है। इस क्षेत्र का हमने भ्रमण किया गया तो पाया कि काला कोबरा कत्थे के पेड़ पर चढ़ता है। पेड़ का तना सपाट नहीं था लेकिन रिस्क लेकर वह लगातार आगे बढ़ता है। खतरा भांपकर तीन गिलहरी ऊपर-नीचे दौड़ लगाती हैं। पक्षियों की आवाज भी पेड़ पर अधिक हो जाती है। देखते ही देखते कोबरा पेड़ की हर टहनी पर दौड़ता है। एक टहनी पर बने बिल में प्रवेश करता है। उस बिल में गिलहरी के तीन बच्चे थे जिसमें दो भाग निकले। तीसरे गिरते गिलहरी के बच्चे को फन फैलाकर लपक लिया और निगल गया। उस बिल से में वह खुद भी फंस गया। काफी देर मशक्कत करने के बाद वह बाहर आया और दूसरी डाल पर शिकार की तलाश में निकल गया। ये क्रम करीब दो घंटे तक चलता रहा। यहां से जो भी सफारी गुजरी उस पर बैठने पर्यटक इसे देखकर हैरान थे। गाइड कहते हैं कि वह करीब 15 साल से इस एरिया में सफारी चला रहे हैं। तमाम कोबरा देखे लेकिन ऐसे शिकार करते पहली बार देखा। यह अपने में हैरान करने वाला मामला है।
कोबरा की पीठ पर हुआ घाव, बचना मुश्किल
शिकार करते समय कोबरा जब बिल में प्रवेश किया तो पेड़ के तने की नुकीली छाल उसकी पीठ पर लग गई। इससे वह पलटी खाने लगा। गाइड ने बताया कि कोबरा घायल हो गया है, शायद ये अब नहीं बच पाएगा। घाव होने के बाद कोबरा जिंदा नहीं रह पाता।
ये है कोबरा का पसंदीदा भोजन
असली कोबरा के भोजन में मुख्यत: मेंढक, छिपकलियां, टिड्डे, चूहे, पक्षी और मछली शामिल होती हैं। इसके विपरीत किंग कोबरा के भोजन का मुख्य भाग दूसरे सांप भी होते हैं। यह विष-रहित रैट-स्नेक से लेकर ज़हरीले क्रेट्स आदि खाते हैं। बताते हैं कि जिस जीव में हड्डी नहीं होती उसका भोजन इसे अधिक भाता है। ऐसे में गिलहरी का मांस उसे भा रहा है। जब तक उसकी पूर्ति पेड़ के जरिए होती रहेगी तब तक वह पेट भरने के लिए जमीन पर नहीं आएगा।
53 प्रजातियां सबसे विषैली
एक रेंजर के मुताबिक भारत में सांपों की 216 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें 53 प्रजातियां ही ऐसी हैं जो विषैली होती हैं। चार प्रजातियां ऐसी हैं जो अगर किसी इंसान या जानवर को काट लें तो इससे उनकी मौत हो सकती है। उन्हीं में से एक है किंग कोबरा। नार्थ इंडिया के मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, यूपी और दिल्ली एरिया में यह पाया जाता है। जंगलों में यह ठिकाना बनाता है। दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट वाले इलाकों के अलावा उत्तर-पूर्वी राज्यों में भी किंग कोबरा अच्छी संख्या में पाए जाते हैं।
कोबरा जमीन पर रहकर मेंढक, छिपकलियां, टिड्डे, चूहे आदि खाता है। विष-रहित रैट-स्नेक भी उसके भोजन में शामिल है। पेड़ पर जाकर शिकार करने का ये मामला दुर्लभ है। यदि तभी संभव है जब कोबरा को जमीन पर कहीं भी खाना न मिले तभी वह पेड़ पर चढ़ता है।
– आरएन मीणा, मुख्य वन संरक्षक अलवर