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बच्चों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार के मामलों में बरतें संवेदनशीलता

बांसवाड़ा. यूनिसेफ के सहयोग से संचालित कम्युनिटी पुलिसिंग टू बिल्ड अवेयरनेस एंड ट्रस्ट कार्यक्रम अंतर्गत बाल संरक्षण विषयक अधिनियम को लेकर रेंज स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला रिजर्व पुलिस लाइन में हुई। इसमें बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ के चयनित संभागियों को बच्चों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार के मामलों में संवेदनशीलता बरतने के निर्देश दिए गए।

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बांसवाड़ा. यूनिसेफ के सहयोग से संचालित कम्युनिटी पुलिसिंग टू बिल्ड अवेयरनेस एंड ट्रस्ट कार्यक्रम अंतर्गत बाल संरक्षण विषयक अधिनियम को लेकर रेंज स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला रिजर्व पुलिस लाइन में हुई। इसमें बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ के चयनित संभागियों को बच्चों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार के मामलों में संवेदनशीलता बरतने के निर्देश दिए गए।
प्रशिक्षण के आरंभ में महानिरीक्षक पुलिस एस. परिमला ने रेंज के तीनों जिलों में बालकों के विरुद्ध होने वाले अपराधों के बारे में जानकारी देते हुए प्रथम संपर्क के रूप में पुलिस अधिकारियों की भूमिका रेखांकित की। उन्होंने बताया कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बालकों से संबंधित अधिनियमों की पालना के लिए उनमें होने वाले परिवर्तनों पर जानकारी आवश्यक है। कार्यशाला के दूसरे सत्र में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, सीकर की न्यायाधीश रेखा राठौड ने चयनित पुलिस अधिकारियों को पोक्सो एक्ट से संबंधित अनुसंधान के दौरान कानूनी एवं तकनीकी बिन्दुओं पर व्याख्यान दिया। उन्होंने ऐसे मामलों में अनुसंधान अधिकारियों को संवेदनशीलता से कार्रवाई करने, मौके से तकनीकी साक्ष्य संकलित करने, पीडित बालकों के संदर्भ में सावधानियों, अधिनियम की प्रस्तावित विभिन्न प्रक्रियाओं तथा पुलिस अधिकारियों की भूमिका से भी अवगत करवाया।
यूनिसेफ की बाल संरक्षण सलाहकार, सिन्धु बिनुजीत ने कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में परिचय दिया। साथ ही यूनिसेफ एवं पुलिस की ओर से नवाचारों की जानकारी देते हुए बाल संरक्षण पर आमजन में जागरूकता के लिए सामुदायिक पुलिसिंग तथा वत्सल वार्ताओं के थाना स्तर पर आयोजन के बारे में बताया। राज्य बाल आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. शैलेन्द्र पण्डया ने किशोर न्याय अधिनियम – 2015 के अंतर्गत देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों तथा विधि से संघर्षरत बालकों के संदर्भ में अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं की जानकारी दी। विभिन्न श्रेणियों के बालकों का समाज में पुनर्वास करने के प्रयासों पर जोर देते हुए अधिनियम की बारीकियों से अवगत कराया। अंत में आईजी परिमला, एसपी अभिजीत सिंह, ने बालकों से संबंधित मामलों में संवदेनशीलता से कार्यवाही के लिए निर्देश दिए।
जिज्ञासाओं का शमन
अनुसंधान अधिकारियों ने जिलों में आने वाली समस्याओं तथा प्रकरणों के संदर्भ में अनुसंधान संबंधित प्रश्न पूछे, जिनके जवाब न्यायिक अधिकारियों तथा प्रशिक्षकों ने दिए। प्रशिक्षण के दौरान पुलिस उप अधीक्षक, पुलिस निरीक्षक, सहायक पुलिस निरीक्षक, हैड कांस्टेबल एवं कांस्टेबल सहित मानव तस्करी विरोधी प्रकोष्ठ एवं महिला अपराध एवं अनुसंधान प्रकोष्ठ के करीब 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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