संजयसिंह कुशवाहा
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कहां
बांसवाड़ा शहर से करीब पांच किमी दूर बाईतालाब के किनारे बसी बस्ती में भरा पानी।
कैसे
माही बांध से कागदी जलाशय भरने के मकसद से हुई कवायद से ये हालात बने। मूल व्यवस्था यह है कि माही का पानी बिजलीघर नंबर पांच में बिजली उत्पादन के बाद नहर के जरिये कागदी में आता है। जहां से ये शहर में जलापूर्ति और सिंचाई के लिए छोड़ा जाता है।
कब
रविवार रात को व्यवस्था में बदलाव कर दिया। सोमवार सुबह जलस्तर कम था लेकिन दोपहर में वेग और जलस्तर बढऩे के साथ लोगों में घबराहट फैल गई और उन्होंने बिजलीघर जाकर व्यथा बताई।
क्यों
बिजली उत्पादन रोकने के कारण पानी नहर में डालने की बजाय नाले के जरिये बाई तालाब में डाला गया और वहां से कागदी के लिए छोड़ा गया। बस यही पानी नाले के किनारे बसी बस्ती तक पहुंच गया।
यों बढ़ी परेशानी
पानी से करीब एक दर्जन परिवार संकट में आ गए। एक परिवार में तो 15 दिन बाद शादी होनी है और घर के बाहर पानी का सैलाब ने उसकी खुशियों पर पानी फेर दिया है। इसके अलावा किसी का शौचालय पानी की जद में है तो कहीं हैण्डपंप पानी में डूब गया। इससे लोग संकट में फंस गए।