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बांसवाड़ा

द्विअर्थी संवाद पर एक सीमा तक रोक आवश्यक

बांसवाड़ा. टीवी धारावाहिक भाभीजी घर पर हैं... के मुख्य किरदार मनमोहन तिवारी यानी रोहितश्व गौड़ एक शॉर्ट मूवी मास्टर जी की शूटिंग के लिए बांसवाड़ा आए। उनका कहना है कि टीवी से दर्शकों का जुड़ाव सबसे अधिक है। टीवी पर सब कुछ आ रहा है। दर्शकों को यह निर्णय करना होगा कि वे क्या देखना पसंद करते हैं। दर्शकों और विशेष रूप से युवाओं को गलत संदेश नहीं जाए, इसके लिए सेंसरशिप आवश्यक है।

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बांसवाड़ा. टीवी धारावाहिक भाभीजी घर पर हैं… के मुख्य किरदार मनमोहन तिवारी यानी रोहितश्व गौड़ एक शॉर्ट मूवी मास्टर जी की शूटिंग के लिए बांसवाड़ा आए। उनका कहना है कि टीवी से दर्शकों का जुड़ाव सबसे अधिक है। टीवी पर सब कुछ आ रहा है। दर्शकों को यह निर्णय करना होगा कि वे क्या देखना पसंद करते हैं। दर्शकों और विशेष रूप से युवाओं को गलत संदेश नहीं जाए, इसके लिए सेंसरशिप आवश्यक है।
प्रश्न : टीवी और सिनेमा में से दर्शकों का अधिक जुड़ाव किससे है ?
उत्तर : हिन्दुस्तान में जन समान्य की बात करें तो टीवी से अधिक जुड़ाव है। टीवी की पहुंच घर-घर तक है। आज बड़ी फिल्में जब तक ओटीटी पर नहीं आ जाती, तब तक दर्शक घर से बाहर सिनेमा हाॅल में देखने नहीं जाते, किंतु टीवी पर आती है, तो देखते हैं। टीवी की पहुंच दूरस्थ गांवों तक है और यही कारण है कि टीवी से जुड़ने वाले दर्शक अधिक हैं। बड़े फिल्मकार और कलाकार भी अपनी फिल्म का प्रमोशन करने टीवी पर ही आते हैं।
प्रश्न : द्विअर्थी संवाद धारावाहिक व फिल्मों में बढ़े हैं
उत्तर : शब्द या वाक्य कथानक से जुड़ा होने पर जायजा है, किंतु टीआरपी बढ़ाने के लिए मसाला डालना गलत है। यूथ के जुड़ाव को बढ़ाने के लिए ऐसा होता है। आज ओटीटी पर सब कुछ खुला है। यह बड़ी बहस का विषय है। इसके लिए सेंसरशिप आवश्यक है। सेंसरशिप में भी हालांकि कई बार गेहूं के साथ घुन ***** जाता है। अधिक प्रतिबंध पर अच्छे तथ्य दब जाते हैं। सेंसर बोर्ड को नियमावली बनानी चाहिए ताकि इस पर एक सीमा तक रोक लगे।
प्रश्न : संवाद लेखन का स्तर क्यों गिर रहा है?
उत्तर : कुछ फिल्में बीते दिनों ऐसी आई हैं, जिनमें संवाद का स्तर हमारी संस्कृति से जुड़ाव नहीं रखता है। टीवी और फिल्मों से बहुत बड़ा वर्ग जुड़ा है। यदि ऐसे संवाद आ रहे हैं तो समाज के लिए खतरा है। इसके बाद भी ऐसी फिल्में करोड़ों कमा रही हैं। समाज बड़े परिवर्तन की ओर जा रहा है, कई आइडियोलॉजी बन रही है। यह सब कहां जाकर रुकेगा, नहीं कह सकते। यह जरूर है कि हास्य, मनोरंजन दर्शकों को हम दे रहे हैं, वह आने वाले समय में कैसा होगा, कह नहीं सकते।
प्रश्न : सकारात्मकता के लिए टीवी पर दर्शक क्या चुने ?
उत्तर : आजकल टीवी पर विभिन्न विषयों के सीरियल बन रहे हैं। हास्य, पारिवारिक, पौराणिक, सामाजिक से लेकर वर्तमान समाज के व्यवहार भी इसमें सम्मिलित हैं। कौन क्या देखना चाहता है, यह भी विचारणीय है। टीवी दर्शकों का दायरा काफी विस्तृत है। दर्शक हास्य भी देखना चाहता है और अन्य विषय भी उसकी रूचि के हैं। निर्माता-निर्देशक सभी विषय पर काम करते हैं। यह दर्शकों को ही तय करना होगा कि वह किसे प्राथमिकता देते हैं।
प्रश्न : शॉर्ट मूवी किस विषय पर आधारित है ?
उत्तर : शॉर्ट मूवी मास्टरजी ऐसे छात्र आलोक की कहानी है, जो शराराती है किंतु प्रतिभाशाली भी है। मास्टर जी अपनी पुत्री को ही कक्षा में सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। फिल्म में विद्यार्थी के लक्षणों को बढ़ावा देने और नई तथा पुरानी सोच को मिलने की कोशिश की गई है। यह नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने और बदलते समय के साथ वैचारिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी।