बांसवाड़ा. अयोध्या में श्री रामलला प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अन्तर्गत समूचा भारतवर्ष राममय हो उठा है। अयोध्या में श्रीराम अपनी जन्मभूमि पर बने भव्य-नव्य मंदिर में सोमवार को प्रतिष्ठापित होंगे, वहीं राजस्थान के बांसवाड़ा में रामकुंड नामक स्थान ऐसा है, जहां पहाड़ के बीच गुफा में श्रीराम जानकी, लक्ष्मण और हनुमान के साथ विराजे हुए हैं।
रामकुंड बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। एक ऊंची पहाड़ी पर एक गुफा के भीतर श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमाएं हैं। इसके कुछ दूर सामने की ओर गहरी गुफाएं हैं। इनमें देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित हैं, जिनमें कुछ खंडित भी हो चुकी हैं। यहां गणेश की प्रतिमाओं के साथ शिवलिंग भी है। दर्शनार्थियों के पहुंचने के लिए ऊंची सीढि़यां बनी हैं। रामकुंड विकास समिति के प्रयासों से यहां सामुदायिक भवन आदि भी बने हैं।
सीता मैया की प्यास बुझाने शर संधान
मान्यता है कि भगवान श्रीराम वनवास के समय यहां आए थे और शिवलिंग की स्थापना की थी। रामकुंड पहुंचने के बाद सीढि़यां उतरने के बाद गुफा में यह शिवलिंग दिखाई पड़ता है। जिसकी आज भी नियमित पूजा-अर्चना की जाती है। शिवलिंग के सामने भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा भी है। मान्यता है कि वनवास के दौरान यहां से गुजरते समय माता सीता को प्यास लगी। चारों ओर पहाड़ी क्षेत्र और जंगल था। आसपास पानी भी नहीं था। इस पर भगवान ने शर संधान किया। इससे पहाड़ का एक हिस्सा कट गया और पानी की धारा फूटने के साथ ही नीचे की ओर कुंड बन गया, जिसे रामकुंड कहा जाता है। पहाड़ की चट्टानों से पानी टपकता है, जो धारा के रूप में परिवर्तित होकर कुंड को भरता है। इस कुंड में पानी भी शुद्ध है। बरसात के दिनों में हरीतिमा से आच्छादित यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य हर किसी का मन मोह लेता है। रामकुंड से गुफाओं का एक छोर भीमकुंड तक भी जाता है। भीमकुंड के बारे में मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां आए थे और भीम के गदा प्रहार से कुंड का निर्माण हुआ था।