पांच सौ साल से भी अधिक समय से जन्माष्टमी पर्व पर श्रीजी मंदिर में रहती है श्रद्धालुओ की धूम
– श्रद्धा व उत्साह की बहती हे बयार
बारां. शहर के आराध्य देव श्रीकल्याणरायजी मंदिर पर कृष्ण जन्माष्टमी पर्व शुक्रवार को हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए मंदिर पर तैयारीयां जोर शोर से की जा रही है। कोरोना काल के चलते दो बार जन्माष्टमी पर्व मंदिर के पुजारीयो ने ही प्रतिकात्कम रुप से मनाया।
कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर इस बार आमजन व श्रद्धालुओ में काफी उत्साह बना हुआ है। श्रीजी महाराज के मंदिर को आकर्षक रुप से सजाया गया है। वहीं विद्युत सज्जा भी की गई है। वहीं शहर के विभिन्न मंदिरो पर भी कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारीया की जा रही है।
– रात्रि 12 बजे शुरु होगा उत्सव
श्रीजी मंदिर पर शुक्रवार को प्रतिमा को दूध दही पंचामृत से स्नान अभिषेक करवाया जाएगा। वहीं रात्रि को 12 बजे से कृष्ण जन्मोत्सव के साथ ही महाआरती व दर्शन शुरु होगें। वहीं दूसरे दिन शनिवार को नन्दोत्सव मनाया जाएगा।
– बिते दो वर्ष बाद मिला अवसर
श्रीजी मंदिर में मुखिया पुजारी पण्डित दुर्गा शंकर शर्मा ने बताया कि कोरोना काल के चलते बिते दो वर्ष से गाइड लाइन की पालना के तहत ही जन्माष्टमी पर्व मनाया गया। इस बार ईश्वर की कृपा से हर्षोल्लास से उत्सव मनाने का अवसर मिला है। जिसके चलते श्रद्धालुओ में उत्साह बना हुआ है।
– धनिए की पंजीरी व अजवाइन के लडडू का लगेगा भोग
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर मंदिर में पंचामृत से स्नान के बाद नए वस्त्र आभूषण से आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। वहीं धनिए की पंजीरी व अजवाइन के लडडूओ का भोग लगाया जाएगा।
– घर घर मनाएगें जन्मोत्सव
पण्डित राजेश शर्मा ने बताया कि भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर्व को विशेष तोर पर उत्तर भारत समेत सम्पूर्ण देश में श्रद्धा व उत्साह से मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर घर घर में जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है। वहीं इस दिन व्रत उपवास भी रखा जाता है। पुराणो के अनुसार द्वापरयुग में भ्भगवा विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार लेकर अधर्मियो का नाश किया। कंस वध के साथ ही महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बनकर संसार को गीता का ज्ञान दिया।
– करीब 542 वर्ष पूर्व हुई थी मंदिर की स्थापना
मंदिर में मुखिया पुजारी पण्डित दुर्गाशंकर शर्मा ने बताया कि श्रीकल्याणरायजी मंदिर का निर्माण स्टेट समय में संवत् 1537 में बूंदी दरबार राजा रावरतन भोज की माता बालोत्रनी राय कुंवर बाई ने करवाया था। जिसका डोरा संवत् 16 95 सुदी पंचमी को किया गया था। उन्होंने बताया कि मंदिर में विराजमान श्रीकल्याणरायजी की प्रतिमा को बूंदी दरबार राव रतन भोज रणथम्बोर से जीत के दोरान लाए थे। जिसमें से एक प्रतिमा बारां में तथा दूसरी प्रतिमा बंूदी चारभूजानाथ मंदिर में स्थापित करवाई गई थी।
– वर्तमान में देवस्थान विभाग के अधीन
श्रीकल्याणरायजी मंदिर वर्तमान में राज्य सरकार के देवस्थान विभाग के अधीन प्रतिबंधित एवं नियन्त्रित है। विभाग के प्रबन्धक राजकुमार विजय ने बताया कि मंदिर में भोग आयोजन लाइट व मरम्मत कार्य सभी विभाग की ओर से करवाया जाता है।