बारां. सरकार की ओर से एक बार फिर जिले के सहरिया समाज को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोडऩे के प्रयास शुरू किए जा रहे है। सरकार का प्रयास है कि जिले के सहरिया समाज के जीवन में आर्थिक व सामाजिक विकास को लेकर नया सवेरा आए। इसके तहत जिले से सहरिया समाज का पलायन रोककर उन्हें जिले में ही रोजगार उपलब्ध कराने बच्चों की सेहत सुधारकर उन्हें कुपोषण मुक्त करने तथा सहरिया परिवारों का पलायन रोकने पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से जिले में नवाचार के तौर पर ‘नया सवेराÓ नाम से प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए करीब 50 लाख की राशि प्रस्तावित की गई है। फिलहाल यह प्रोजेक्ट नवाचार के तौर पर जिले के आदिवासी सहरिया जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के दो ब्लॉक किशनगंज व शाहाबाद में ही शुरू किया जा रहा है।
चार सौ बच्चे अतिकुपोषित
सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में जिले में करीब चार सौ अतिकुपोषित बच्चे चिन्हित है, लेकिन नवाचार के तहत एक बार फिर आशा सहयोगिनियों के माध्यम से घर-घर सर्वे कराया जाएगा। इसमें स्क्रीनिंग कर कुपोषित, अतिकुपोषित बच्चों ओर किशोरी बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं को चिन्हित किया जाएगा। इस दौरान बीमार बच्चों को सम्बंधीत अस्पताल रैफर कर वहां इलाज किया जाएगा। बीमार नहीं मिलने वाले तथा कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों को एमटीसी में भर्ती किया जाएगा। ऐसे बच्चों की भूख की जांच की जाएगी तथा उन्हें नया सवेरा से जोड़कर सेहत का स्तर सुधारा जाएगा।
छह माह तक करेंगे फोलोअप
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सम्पतराज नागर ने बताया कि किशनगंज-शाहाबाद क्षेत्र में पूर्व के आंकड़ों के मुताबिक करीब ढाई हजार महिलाएं शारीरिक रूप से कमजोर रहती है। इससे बच्चे भी कम वजन के पैदा हो रहे है। अधिकांश बच्चों का वजन ढाई किलोग्राम व उससे कम मिल रहा है। महिलाओं में आयरन की कमी मिल रही है। प्रोजेक्ट के तहत आयरन की कमी दूर करने के लिए सहरिया परिवारों को लोहे की कढाही का वितरण किया जाएगा। वहीं, बीमार नहीं मिलने वाले कुपोषित बच्चों को पोषण अमृत का वितरण किया जाएगा तथा उनका आगामी छह माह तक निगरानी रखकर फोलोअप किया जाएगा।