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मूंगफली खरीद में बड़ा उलटफेर: 350 बोरियां लौटीं, अधर में है किसानों की उम्मीद

समर्थन मूल्य पर चल रही मूंगफली खरीद में शनिवार को बड़ामोड़ तब आया जब बस्सी खरीद केन्द्र से किसानों की 350 बोरियों में भरी 122.5 क्विंटल मूंगफली को दौसा वेयरहाउस से वापस लौटा दिया गया। मूंगफली की वापसी के बाद खरीद केन्द्र प्रशासन के साथ किसानों की चिंता भी बढ़ गई है।

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– गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे दाने, बस्सी खरी…

बस्सी. समर्थन मूल्य पर चल रही मूंगफली खरीद में शनिवार को बड़ामोड़ तब आया जब बस्सी खरीद केन्द्र से किसानों की 350 बोरियों में भरी 122.5 क्विंटल मूंगफली को दौसा वेयरहाउस से वापस लौटा दिया गया। मूंगफली की वापसी के बाद खरीद केन्द्र प्रशासन के साथ किसानों की चिंता भी बढ़ गई है। अब इन बोरियों की दोबारा ग्रेडिंग की जाएगी और दोबारा वेयरहाउस भेजा जाएगा। यदि फिर भी गुणवत्ता मानकों पर कमी रही तो यह मूंगफली किसानों को वापस लौटा दी जाएगी। वेयरहाउस में मूंगफली जमा होने के बाद ही किसानों का भुगतान संभव है।

खरीद केन्द्र प्रभारी ने बताया कि बस्सी क्रय-विक्रय सहकारी समिति द्वारा किसानों से मूंगफली तय मानकों के अनुसार ही खरीदी गई थी। लेकिन दौसा वेयरहाउस प्रभारी ने मूंगफली को मानकों पर खरा नहीं पाया, जिसके कारण इसे वापस भेज दिया गया। खरीद केन्द्र पर तैनात सेल्समैन के अनुसार मूंगफली में 65 प्रतिशत दाना अनिवार्य, विजातीय तत्व 2 प्रतिशत से अधिक नहीं, क्षतिग्रस्त दाना 2 प्रतिशत, अधपका व सिकुड़ा दाना 4 प्रतिशत तथा छिला दाना अधिकतम 70 प्रतिशत तक होना चाहिए। इसके अलावा नमी की मात्रा 8 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

मूंगफली लौटने की जानकारी मिलने के बाद शनिवार को बस्सी मंडी स्थित खरीद केन्द्र पर व्यवस्थापक सरवर बानो पहुंचीं। उन्होंने सख्त निर्देश दिए कि आगे से केवल वही मूंगफली खरीदी जाए जो पूरी तरह मानकों पर खरी उतरे। उन्होंने स्पष्ट किया कि संबंधित 350 बोरियों की दोबारा ग्रेडिंग कर पुनः वेयरहाउस भेजा जाएगा। लेकिन यदि फिर भी मानकों में कमी रही तो उन्हें किसानों को लौटा दिया जाएगा। किसानों की नजर अब इस दोबारा जांच रिपोर्ट पर टिकी है। (कासं.) मंडियों में नहीं मिल रहा भाव, समर्थन मूल्य का सहारा भी कमजोर पड़ा सरकार ने इस बार मूंगफली खरीद की तारीख 24 नवंबर तय की थी, लेकिन बस्सी में खरीद 3 दिसंबर से शुरू हुई।

किसानों को मंडी में लगभग 4000 से 4200 रुपए प्रति क्विंटल भाव मिल रहा है, जबकि सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य 7263 रुपए प्रति क्विंटल है। इस भारी अंतर के कारण किसानों ने समर्थन मूल्य पर बेचने की उम्मीद लगाई थी, पर गुणवत्ता संबंधी मानकों के चलते उनकी परेशानी अब और बढ़ गई है। 100 ग्राम के सैंपल से तय होती है किस्मत खरीद केन्द्र पर सबसे बड़ी चुनौती सैंपलिंग प्रक्रिया है। ट्रॉली या बोरी में से केवल 100 ग्राम का नमूना लिया जाता है। कई किसान ऊपर अच्छी क्वालिटी की मूंगफली भर देते हैं, जबकि नीचे दाना सिकुड़ा, नमीयुक्त या रंगहीन मिलता है। ऊपर से लिया गया सैंपल मानकों पर सही आता है, लेकिन बड़े स्तर पर दाना कमजोर निकलता है, जिसके कारण वेयरहाउस में मूंगफली रिजेक्ट हो जाती है।

किसानों के अनुसार इस बार अधिक बरसात से दाने का रंग फीका पड़ा, नमी बढ़ी और सिकुड़न आ गई, जिससे गुणवत्ता प्रभावित हुई। खरीद प्रक्रिया में सुधार की जरूरत विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ 100 ग्राम सैंपल से पूरी खेप की गुणवत्ता तय करना उचित नहीं है। संपूर्ण लॉट टेस्टिंग, खरीद केन्द्र और वेयरहाउस के बीच बेहतर समन्वय और किसानों को पहले से गुणवत्ता मानकों की स्पष्ट जानकारी देना जरूरी है। इससे किसानों की मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी और खरीदी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हो सकेगी।

मूंगफली खरीद के मानक – दाना 65% अनिवार्य – छिला दाना अधिकतम 70% – नमी 8% से कम – विजातीय तत्व 2% तक – क्षतिग्रस्त व काला दाना 2% – अधपका/सिकुड़ा दाना 4% इनका कहना है… मूंगफली की ग्रेडिंग के बाद दोबारा भेजा जाएगी। फिर भी मूंगफलियों को जमा नहीं किया तो किसानों को वापस किया जाएगा। अब पूरे मानक खरे उतरने के बाद भी मूंगफली खरीदी जाएगी। – सरवर बानो, प्रबंधक क्रय विक्रय सहकारी समिति बस्सी।