पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी POK में जारी विरोध प्रदर्शन को विराम लग सकता है। प्रदर्शन को अबतक पांच दिन हो चुके हैं। इस दौरान पूरे इलाके में जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन हुए। इन विरोध प्रदर्शनों की आग में अब तक 12 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। हालात इतने बिगड़ गए कि अब पाकिस्तान सरकार को आखिरकार प्रदर्शनकारियों से समझौता करना पड़ा है।
दरअसल जम्मू कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी के नेतृत्व में हो रहे इन प्रदर्शनों की शुरुआत 29 सितंबर को हुई। जब सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच मांगों को लेकर बातचीत विफल हो गई। जिसके बाद तो जनता का गुस्सा और भड़क गया। विरोध ने इतना उग्र रूप लिया कि कई जगह हिंसा और तोड़फोड़ देखने को मिली। हालात बेकाबू होते देख पाकिस्तान सुरक्षाबलों ने खुलेआम प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी करनी शुरू करदी। इस दौरान हुई झड़पों में 12 लोगों की मौत हुई, जिनमें तीन पुलिसकर्मी भी शामिल थे। हालात बिगड़ते देख, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल मुजफ्फराबाद भेजा, जिसकी अगुवाई पूर्व प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अशरफ कर रहे थे। दो दिन की लगातार चली बातचीत के बाद आधी रात को समझौता हो गया।
समझौते के तहत प्रदर्शनकारियों ने 38 मांगों का एक चार्टर सरकार के सामने पेश किया। इन मांगों में बिजली, स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा व्यवस्था, और आर्थिक मदद जैसी बातें शामिल थीं। जब इन मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो लोग सड़कों पर उतर आए। अब सरकार ने 38 में से 25 मांगें मान लीं। इनमें हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवज़ा देने की बात, हिंसा में शामिल लोगों पर आतंकवाद की धाराओं में केस दर्ज करने का फैसला भी शामिल है। इसके अलावा सरकार ने ये भी वादा किया कि मुजफ्फराबाद और पुंछ में दो नए शिक्षा बोर्ड बनाए जाएंगे। साथ ही, हर ज़िले में MRI और CT स्कैन मशीनें चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध कराई जाएंगी। हेल्थ कार्ड योजना को भी 15 दिन में लागू करने का वादा किया गया है। बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए पाकिस्तान सरकार 10 अरब रुपये देगी। इसके अलावा, नीलम वैली रोड पर दो टनल बनाने और मीरपुर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण की संभावनाओं पर भी काम शुरू करने की बात कही गई है। प्रॉपर्टी ट्रांसफर पर लगने वाले टैक्स को पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के बराबर किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक विशेष कमेटी बनाई जाएगी।
बता दें कि प्रदर्शनों के दौरान POK में लगभग सब कुछ ठप हो गया था। ट्रांसपोर्ट बंद हो गया, सड़कों पर सिर्फ मोटरसाइकिल और कुछ निजी वाहन ही नजर आ रहे थे। साथ ही, 26 सितंबर से संचार सेवाएं भी बंद कर दी गई थीं, जिससे लोगों में भारी नाराजगी फैली। रिपोर्ट्स के मुताबिक ये प्रदर्शन सिर्फ मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर नहीं थे, बल्कि ये पाकिस्तान की सेना और सरकार की ज्यादतियों के खिलाफ गुस्से का इज़हार बन चुके थे।
वहीं भारत ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि ये हालात पाकिस्तान के दमनकारी रवैये और संसाधनों की लूट का नतीजा हैं। भारत ने इसे मानवाधिकार उल्लंघन करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराने की मांग की। भारत ने एक बार फिर दोहराया कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और भविष्य में अगर कोई बातचीत होगी, तो वो सिर्फ इस क्षेत्र को वापस लेने को लेकर होगी। इस मामले पर पाकिस्तान के कुछ मंत्रियों ने भारत को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश भी की, लेकिन इसका उनको कोई फायदा नहीं मिला। एक मंत्री ने प्रदर्शनकारियों से अपील करते हुए कहा कि ऐसा कोई कदम न उठाएं जिससे “हमारे दुश्मन देश” को फायदा हो।