विधायक देवेंद्र यादव ने बताया कि सर्वप्रथम पुलिस को 2 अगस्त 2023 को देवेश पाणिग्रही ने आवेदन देकर वायरल हो रहे आपत्तिजनक वीडियो की जानकारी दी थी। उच्च स्तरीय जांच और एफआईआर की मांग की गई, इसके बाद विधानसभा चुनाव के दौरान 15 नवंबर 2023 को सार्वजनिक रूप से प्रेस कांफ्रेंस करके सीबीआई जांच की मांग की थी। उन्होंने बताया कि फिर विधानसभा चुनाव के बाद 29 जनवरी 2024 को पत्राचार किया गया था। पुन: 23 फरवरी 2024 को मुख्यमंत्री व गृह मंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी दी थी। विधानसभा में प्रत्यक्ष रूप से विधानसभा में प्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री के समक्ष आवेदन देकर एफआईआर व सीबीआई जांच की मांग की थी। इसके बाद 22 मार्च 2024 को पुन: आवेदन देकर एफआईआर की मांग की। अब तक 6 आवेदन और 7 महीने 20 दिन बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया और लगभग 4 माह बाद बयान देने के लिए बुलाया।
फोरेंसिक लैब में हो जांच हर सैंपल देने तैयार
विधायक ने कहा कि कोई भी फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी वाइस सैंपलिंग के लिए वह तैयार हैं। वीडियो की उच्च स्तरीय जांच देश के प्रतिष्ठित फॉरेंसिक लैब चंडीगढ़ और गांधीनगर में होनी चाहिए। अगर सैंपल देने के लिए उन्हें जाना पड़े तो उक्त स्थल पर भी वो जाएंगे।
मॉर्फ वीडियो बनाने व प्रसारित करने वालों पर हो कार्रवाई
उन्होंने मांग किया कि पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच होनी चाहिए और इस मामले में संलिप्त दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। जल्द से जल्द इन सब की गिरफ्तारी होनी चाहिए और न्याय मिलनी चाहिए।
सरकार अपना रही दोहरा रवैया
विधायक ने बताया कि एक और एक मामले में सरकार के तत्कालीन मंत्री के ऊपर आपत्तिजनक वीडियो के मामले में सीबीआई की जांच की जाती है और दूसरी तरफ विपक्ष के विधायक के सात महीने आवेदन देने पर भी सिर्फ एफआईआर होती है और कोई जांच नहीं की जाती।