भीलवाड़ा. वस्त्रनगरी में वस्त्र उद्योग से जुड़े श्रमिक शोषण का शिकार हैं। 25 हजार करोड़ रुपए टर्नओवर वाले टेक्सटाइल उद्योग में श्रमिकों से डेढ़ गुना अधिक काम लिया जा रहा है। यानी 8 घंटे के स्थान पर 12 घंटे काम करवाया जा रहा है। हालांकि मेहनताना आठ घंटे का ही मिलता है, जो 390 रुपए से 450 रुपए तक है। ्ह बात अलग है कि भीलवाड़ा में कमठाणा श्रमिक का सात घंटे का मेहनताना करीब 500 रुपए है।
राजस्थान पत्रिका की टीम ने मंगलवार को रीको एरिया क्षेत्र का दौरा किया। विभिन्न फैक्टि्रयों के मजदूरों से बात की और उनका दर्द सुना। हर जगह सबसे बड़ी समस्या यही मिली कि पैसा बहुुत कम मिलता है। श्रमिक रॉकी कुमार ने बताया, 12 घंटे काम करने पर भी 390 रुपए मिलते हैं। शैलेन्द्र कुमार का कहना था, यह हालात सभी फैक्ट्रियों के हैं। सभी मजदूरों को 390 से 450 रुपए तक मिलते हैं, लेकिन काम 12 घंटे करना पड़ता है। खुर्शीद आलम ने कहा, सुबह 8 से रात 8 बजे तक काम करने पर भी पैसा पूरा नहीं मिलता है। कम्पनी का रजिस्ट्रर जांच लीजिए, पता लग जाएगा कि किसे कितनी मजूरी मिल रही है। हर उद्योग में काम आठ घंटे दिखाते हैं, लेकिन मजदूरी 12 घंटे कराते हैं। मजदूर नेता मजदूर दिवस पर रक्तदान शिविर लगाने आते हैं। फिर चुप्पी साध लेते हैं। बात जब मजदूरी की आती है तो कहते है…करेंगे। हालांकि होता कुछ नहीं है।
इनका समाधान किया जाए-
वस्त्र मजदूरों का न्यूनतम वेतन 500 रुपए प्रतिदिन होना चाहिए। अधिकतम कार्य अवधि 8 घंटे तय हो। ओवरटाइम काम करने वालों का वेतन अलग से मिले। सामाजिक सुरक्षा, आवास सुविधा, ईएसआई व प्रोविडेंट फंड का लाभ मिलने चाहिए।
-दीपक व्यास, जिलाध्यक्ष राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक भीलवाड़ा
समाधान का प्रयास करेंगे
महासंघ मजदूरों के हितों के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। श्रमिकों की जो भी समस्या है, उनका समाधान करने का प्रयास करते हैं। वेतन को लेकर भी फैक्ट्री मालिकों से चर्चा कर रहे हैं। सुविधाएं दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।
-नन्दलाल माली, उपाध्यक्ष मजदूर महासंघ