7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छतरपुर

छात्रा की मौत पर चार घंटे जाम में फंसा रहा छतरपुर

- एससी-एसटी छात्र-छात्राओं ने नेशनल हाइवे के कई स्थानों पर लगाया जाम- चार घंटे चले हंगामे के बाद छात्रावास अधीक्षिका सस्पेंड- चोरी के झूठे इल्जाम से दुखी होकर छात्रा ने लगाई थी फांसी

Google source verification

छतरपुर। गुरुवार को सुबह 9 बजे से दोपहर एक बजे तक छतरपुर शहर के दोनों हाईवे जाम में फंसे रहे। सैकड़ों मुसाफिरों को सड़क पर मौजूद जाम के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह जाम महोबा रोड पर स्थित उत्कृष्ट कन्या छात्रावास की एक 10वीं की छात्रा ऋचा अहिरवार के आत्महत्या किए जाने के बाद दलित छात्रों के द्वारा लगाया गया था। विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं ने चार घंटे तक पुलिस, छात्रावास अधीक्षिका और आदिमजाति कल्याण विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक छात्रा ऋचा अहिरवार की मौत की जिम्मेदार तीनों लड़कियां एवं छात्रावास की लापरवाह अधीक्षिका सुशीला पाठक के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं होती तब तक जाम लगा रहेगा। लंबी जदï्दोजहद और मान मनौब्बल के बाद दोपहर 1 बजे जाम हट पाया। इसके पहले जाम में फंसे लोगों और यात्री बसों में सवार लोगों को पैदल ही लंबी दूरी तय करनी पड़ी।
मासूम बच्ची ने झूठे इल्जाम पर गवां दी जान :
बुधवार की शाम करीब 5 बजे महोबा रोड पर स्थित शासकीय उत्कृष्ट सीनियर कन्या छात्रावास में रहने वाली 10 वीं की एक छात्रा ऋचा अहिरवार ने अपने ही कमरे में पंखें से दुपट्टा बांधकर फांसी लगा ली थी। ऋचा नौगांव क्षेत्र के ग्राम चंदौरा की निवासी थी एवं अपनी बड़ी ***** के साथ इसी हॉस्टल में रहती थी। दो दिन पहले हॉस्टल में ही 11वीं की छात्राओं ने एक विदाई पार्टी का आयोजन किया था इस दौरान हॉस्टल की एक छात्रा का पेंट चोरी हो गया। यह पेंट धोखे से बदल जाने के कारण ऋचा अहिरवार के पास आ गया था जिसके कारण छात्रावास की दो लड़कियों पुष्पा एवं लड्डू अहिरवार ने ऋचा पर चोरी का आरोप लगाया था। ऋचा ने खुद अपने सोसाइड नोट में यह बात लिखी है। अपने माता-पिता को संबोधित करते हुए उसने लिखा कि उसने कोई चोरी नहीं की फिर भी उसे दोनों लड़कियां चोरी के लिए बदनाम कर रही हैं। इस बदनामी का जवाब देने के लिए वह अपनी मौत से अपने सच होने की गवाही दे रही है। सोसाइड नोट लिखकर इस मासूम बच्ची ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
प्रदर्शनकारियों ने चार घंटे किसी की नहीं सुनी :
छतरपुर के छत्रसाल चौक, कांग्रेस कार्यालय के सामने एवं इसके बाद आकाशवाणी तिराहे पर तीन जगह सुबह 9 बजे से ही प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओं ने जाम लगा दिया। इन लोगों के साथ भीम आर्मी, अजाक्स संगठन के नेता, भाजपा के दिलीप अहिरवार, कांग्रेस की दीप्तिी पांडे, कीर्ति विश्वकर्मा भी मौजूद थी। प्रदर्शनकारियों ने चार घंटे तक किसी की बात नहीं सुनी। दर्जनों छात्राएं खुद सड़क पर बैठीं और ऋचा अहिरवार की मौत के लिए माया, लड्डू एवं पुष्पा को जिम्मेदार ठहराने लगीं। प्रदर्शनकारियों ने छात्रावास अधीक्षिका सुशीला पाठक पर भी निशाना साधा और कहा कि उनके द्वारा भी ऋचा अहिरवार को प्रताडि़त किया गया था। छात्राओं का आरोप था कि सुशीला पाठक एक साथ चार हॉस्टल की अधीक्षिका हैं उनके पति के द्वारा भी लड़कियों को विरोध न करने की नसीहत देते हुए थप्पड़ मारा गया था। इन आरोपों के साथ छात्राओं ने सुशीला पाठक पर भी एफआईआर करने की मांग की।
जयराज कुबेर और स्वप्रिल वानखेड़े ने संभाला मोर्चा :
लगातार जाम की स्थिति निर्मित होने के बाद जब पूरा शहर चार घंटे के इस हंगामे से परेशान हो गया तो एएसपी जयराज कुबेर और राजनगर एसडीएम व आइएएस स्वप्रिल वानखेड़े को मोर्चा संभालना पड़ा। दोनों अधिकारियों ने विरोध कर रहीं छात्राओं से बात की और फिर छात्रावास अधीक्षिका सुशीला पाठक, छात्रावास का रसोईया बबलू रैकवार को सस्पेंड करने का आश्वासन दिया एवं तीन दिन के भीतर निष्पक्ष जांच कर एफआईआर करने का भरोसा दिया। वहीं हॉस्टल के छात्रों के बीच राजनीतिक पकड़ रखने वाले युवक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष लोकेंद्र वर्मा को भी प्रशासन ने बुला लिया। इनके बीच चर्चा के बाद कार्रवाई का ठोस आश्वासन मिला तब जाकर प्रदर्शनकारी रास्ता खोलने के लिए तैयार हुए।
छात्रावासों में चल रहा गोरखधंधा, नहीं होती कार्रवाई :
ऋचा अहिरवार की मौत के लिए भले ही उसके साथ पढऩे वाली छात्राएं जिम्मेदार हों लेकिन छतरपुर जिले के छात्रावासों में पसरा गोरखधंधा ऐसी कई लापरवाहियों के लिए जिम्मेदार है। दरअसल साठगांठ के चलते आदिमजाति कल्याण विभाग के द्वारा अपने चहेतों को छात्रावास का अधीक्षक बना दिया जाता है। एक-एक व्यक्ति को चार-चार हॉस्टल का अधीक्षक बनाकर बच्चों के खाने-पीने की सामग्री में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। पिछले दिनों जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती अनुरागी ने भी आधा दर्जन हॉस्टल का निरीक्षण कर कई हॉस्टल के अधीक्षकों को हटाने के लिए पत्र लिखा था लेकिन जिला संयोजक आरपी भद्रसेन ने उन्हें नहीं हटाया। इतना ही नहीं छात्र-छात्राएं भी कम से कम एक दर्जन बार कलेक्टर को छात्रावासों में मौजूद अनियमितताओं के खिलाफ ज्ञापन दे चुके हैं फिर भी कलेक्टर ने इस पर ध्यान नहीं दिया। बच्चियों के आपसी झगड़े को किसी जिम्मेदार अधीक्षिका के द्वारा समझा-बुझाकर खत्म करा दिया जाता तो न ही ऋचा अहिरवार को अपनी जान गंवानी पड़ती और न ही चार घंटे तक शहर को परेशान होना पड़ता।