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छतरपुर

निजी गौशालाओं में निरीक्षण के दौरान ही दिखाई दे रहे गोवंश

जिले में डेढ़ दर्जन से अधिक गौशालाओं में मात्र आधा दर्जन गौशालाओं में किया जा रहा गायों का पालन पोषण

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छतरपुर. दर्जन भर से अधिक गौशालाओं के बाद भी शहरी और ग्रामीण इलाकों में गोवंश खुले में फिर रहा है और भूख से तड़पते हुए सडा गला भोजन व प्लास्टिक थैलियों को तक खा रहा है। ऐसे में कई गोवंश प्लास्टिक थैलियों को खाकर अपनी मौत हो दावत दे रहे हैं। यह सब देखने के बाद भी गौशाला चलाने वाले लोगों और प्रशासन का दिल नहीं पसीज रहा है। हालात हैं कि कई गौशालाओं सिर्फ निरीक्षण के दौरान ही गोवंश का पालन पोषण करने का दिखावा किया जाता है और बाकी दिनों में यहां से गायों को बाहर कर दिया जाता है। इनमें से जो गायों स्वस्थ्य और दुधारू होती हैं केवल उन्हें ही रखा जाता है।

जानकारी के अनुसार शहर के बाजारों व रहवासी क्षेत्रों की सड़कों पर भटकती गाय और सांड भूख से तड़पते हुए प्लास्टिक थैलियों तक को खा रहे हैं। भूख और प्लास्टिक सेवन के कारण आए दिन ऐसे गोवंश असमय काल के गाल में समा रहे हैं। वहीं कई बार तो भूख से बिलबिलाते यह गोवंश बाजार व आबादी क्षेत्रों में पैदल राहगीरों दोपहिया वाहन चालकों को चोटिल कर रहे हैं।

लेकिन इसके बावजूद बाजारों, कॉलोनियों व हाइवे तक इस अघोषित डर पर लगाम लगाने में प्रशासन पूरी तरह से उदासीन बना हुआ है। तो दूसरी ओर शहर में भूख-प्यास से तड़पते करीब ४ हजार से अधिक गोवंश की दुर्दशा यहां के गौसेवकों को भी नजर नहीं रही है। जिले की जो गौशालाएं हैं उनकी न तो क्षमता बढ़ रही है, न संख्या। वहीं २-३ गौशालाओं को छोड़कर बाकी सभी गौशालाओं में मात्र निरीक्षण के दौरान आसपास फिर रही गायों को गौशाला में लाते हैं और निरीक्षण होने के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। शहर के करीब १५ गौशालाओं में मात्र कुछ में ही गोवंश का पालन पोषण किया जाता है। बाकी में स्वस्थ और दुधारू गायों को ही सहारा मिलता है। यहां पर दूध देना बंद होने पर उन्हें छोड़ दिया जाता है। जिससे यह सड़कों, बाजारों में फिर कर अपना भोजन तलाशते फिरते हैं। वहीं जिन गौ-वंश के मालिक हैं वह भी उन्हें सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं। कांजी हाउस बंद होने के बाद से गौ-वंश के ऐसे मालिकों पर भी जुर्माना की कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

ये रहीं कुल गौशालाएं

1. नंदिनी गौशाला, जाग्रति युवा समिति, ग्राम गुलार, बिजावर

2. श्री गोरेलाल कुंज, पड़रिया3. श्री गोपाल कृषि गौरक्षणी लोक न्यास, राधेपुर

4. दयोदय गौ संवर्धन एवं पर्यावरण संस्थान

5. श्री धनुषधारी गौसेवा समिति, बंधीकला

6. श्री स्वामी परमानंद गौशाला, सिजई, लवकुशनगर

7. कन्हैया ग्वाड़ा गौशाला सकटिया, लवकुशनगर

8. बुंदेलखंड गौशाला समिति, नोरा पहाड़ी, नौगांव

– फोटो- सीएचपी- ०४०५२३-५३- कैप्शन-