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छतरपुर

नगरपालिका एक्ट का उल्लंघन, चावल गोदाम व प्लास्टिक फैक्ट्री मालिकों को नोटिस

डायवर्सन, निर्माण अनुमति, फायल ऑडिट के बिना आबादी के बीच चल रहे व्यवसाय

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छतरपुर. शहर में पिछले माह प्रशासन ने दो अलग-अलग व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की। इन व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कई कानूनों का खुलेआम उल्लंघन पाया गया। वहीं, नगरपालिका अधिनियम की धारा 223 का भी उल्लंघन किया गया है। जिसके चलते मुख्य कार्यपालन अधिकारी नगरपालिका छतरपुर ने असाटी चावल गोदाम के संचालक जगदीश असाटी व गणेश असाटी और एसडीएम ने प्लास्टिक फैक्ट्री के संचालक महेन्द्र चनपुरिया को नोटिस जारी किया है।

फूड लाइसेंस के बिना तीन साल से बेच रहे खाद्य पदार्थ
सीएमओ ओमपाल सिंह भदौरिया ने नोटिस में कहा है कि असाटी बंधुओं ने भवन निर्माण की नगरीय निकाय से अनुमति नहीं ली है। बिना अनुज्ञा भवन निर्माण मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 223 का उल्लंघन है। सीएमओ ने असाटी बंधुओ से भवन व भूमि के स्वामित्व के प्रमाण, भूमि के डायवर्सन का प्रमाण पत्र, भवन निर्माण की स्वीकृति, नगरपालिका में दर्ज मकान की टैक्स रसीद, ट्रेड लाइसेंस और फायर एनओसी या फायर ऑडिट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि असाटी बंधु बिना रजिस्टेशन के चावल, पोहा के 72 लेबल का इस्तेमाल कर चावल व पोहा की पैकिंग कर रहे थे। पीडीएस के चावल की हेराफेरी की शिकायत पर तात्कालीन तहसीलदार सुनील वर्मा ने सात विभागों के साथ मिलकर छापेमारी कर कई खामियां पकड़ी थी। सबसे बड़ी खामियों में फूड लाइसेंस के बिना गोदाम संचालन, बिना रजिस्ट्रेशन नामचीन ब्रांड के नाम पर पैकिंग, फायर एनओसी, डायवर्सन समेत कई खामियां मिली थी। जिसको लेकर अपर कलक्टर, खाद्य एवं औषधी प्रशासन, नगरपालिका कार्यवाही कर रही है। वहीं गोदाम से लिए गए पांच सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं।

प्रदूषण बोर्ड की अनुमति के बिना आबादी के बीच प्लास्टिक निर्माण
शहर के नारायणपुरा क्षेत्र में कमर्शियल डायवर्सन के बगैर रिहायशी क्षेत्र में महेंद्र – आनंद चनपुरिया के द्वारा अवैध तरीके से पॉलीथिन फैक्ट्री संचालित करने पर एसडीएम ने नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। आरोप है कि चनपुरिया बंधुओं द्वारा रिहायशी मकान के ग्राउंड फ्लोर में नियम ताक पर रखकर पॉलीथिन की फैक्ट्री संचालित की जा रही थी। एसडीएम ने 3 दिन के अंदर समाधान कारक जवाब देने के आदेश दिए हैं। सूत्रों के अनुसार चनपुरिया बंधुओं ने कमर्शियल डायवर्सन के लिए आवेदन दिया था, लेकिन इलाका रिहायशी होने से एसडीएम ने आवेदन खारिज कर दिया था, इसके बाद भी वे प्लास्टिक फैक्ट्री का संचालन कर रहे थे। उन पर आरोप है कि राजस्व की चोरी करने के लिए चनपुरिया बंधुओं ने कमर्शियल डायवर्सन नहीं कराया था। तहसीलदार सुनील वर्मा के प्रतिवेदन से इस बात का खुलासा हुआ है कि प्रदूषण बोर्ड की अनुमति के बगैर चनपुरिया बंधुओं द्वारा पॉलीथिन की फैक्ट्री संचालित की जा रही थी। ऐसे में क्षेत्रीय प्रदूषण बोर्ड व उनके अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।