छतरपुर. झांसी-मानिकपुर रेलवे ट्रैक पर स्थित हरपालपुर रेलवे स्टेशन पर दशकों बाद भी ओवरब्रिड या अंडरब्रिजों का निर्माण नहीं किया गया। नगर के बीच स्थित रेलवे फाटक पर घंटों लोगों को ट्रेन पास होने का इंतजार करना पड़ता है तो वहीं प्लेटफार्म नंबर दो पर पहुंचने के लिए कोई ब्रिज आदि की व्यवस्था न होने के कारण मुसाफिर ट्रेन की पटरी पार कर उस पार पहुंचते हैं। यहां भी यात्रियों को चिलचिलाती धूप में रेलवे ट्रैक पर बैठकर आने वाली ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है।
झांसी-मानिकपुर रेल रूट पर हरपालपुर रेलवे स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों के जमाने में किया गया था। छतरपुर जिले में यूं तो अब पांच स्टेशनों का निर्माण करा दिया गया है, लेकिन सबसे पुराने हरपालपुर रेलवे स्टेशन पर कई दशक गुजर जाने के बाद भी समुचित सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। झांसी-मानिकपुर रेलवे रूट पर स्थित हरपालपुर रेलवे स्टेशन से संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, महाकौशल, बुंदेलखंड एक्सप्रेस, तुलसी एक्सप्रेस, खजुराहो-उदयपुर इंटरसिटी ट्रेनें गुजरती हैं। आजादी के बाद से देशभर के तमाम स्टेशनों का कायाकल्प किया गया, लेकिन छतरपुर जिले के इस प्राचीन स्टेशन पर अपेक्षित कार्य नहीं हो पाए।
ट्रैक पार कर जाते है दो नंबर प्लेटफॉर्म
स्टेशन पर एक प्लेटफार्म के बाद दूसरा तो बना दिया गया, लेकिन उस प्लेटफार्म तक पहुंचने के लिए मुसाफिरों को आज भी ट्रैक पार कर जाना पड़ता है। स्टेशन पर एक ट्रेन खड़ी और दूसरी आने पर भारी समस्या के मद्देनजर रेलवे विभाग ने तत्कालिक समस्या का निदान यह कर दिया कि हरपालपुर में एक ट्रेन खड़ी होने पर दूसरी आने वाली ट्रेन को अगले स्टेशन पर रोक दिया जाता है, लेकिन ओवर ब्रिज का निर्माण नहीं किया गया। ऐसे में यात्रियों को अभी भी जान जोखिम में डालकर पटरियों को पार करके ट्रेनों में चढऩा-उतरना पड़ता है। दूसरे प्लेटफार्म पर ट्रेनों का इंतजार करने वाले मुसाफिर चिलचिलाती धूप, सर्दी व बारिश में ही पटरी पर बैठकर आने वाली ट्रेन का इंतजार करते हैं।
रेलवे फाटक पर जाम में फंसती एंबुलेंस
हरपालपुर के बीचोंबीच स्थित रेलवे स्टेशन जिले का न सिर्फ पहला रेलवे स्टेशन है, बल्कि समूचे देश में अपनी पहचान कायम रखे हुए हैं। इसके कायाकल्प और विकास के लिए रेलवे ने कोई प्रयास नहीं किए। जिले में अब खजुराहो, छतरपुर के अलावा अन्य छोटे स्टेशन तैयार हो चुके हैं, लेकिन हरपालपुर स्टेशन को विकास से दूर रखा गया है। इस स्टेशन पर न तो मुसाफिरों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं और न ही ओवर या फिर अंडर ब्रिज बनाया गया है जिससे भविष्य में कोई बड़ी घटना हो सकती है। रेलवे ने झांसी-मिर्जापुर नेशनल हाइवे पर रेलवे फाटक बनाया गया है, जिससे दिनभर में हजारों वाहन गुजरते हैं। ट्रेनों के आने पर फाटक बंद हो जाता है, तब वाहनों की लंबी कतारें और ट्रेन गुजरने पर घंटों जाम की नौबत बन आती है। ऐसे हालातों में एंबुलेंस में पड़े मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। रेलवे फाटक पर कोई भी पुल आदि का इंतजाम न होने के कारण बाइक व साइकिल सवार फाटक लगा होने के बावजूद पटरी क्रॉस करने का जोखिम उठाते हैं।