छतरपुर। जिले के ईशानगर थाना क्षेत्र के ग्राम कटारे के पुरवा में मंगलवार को दोपहर में एक बंद पड़े पिपरमेंट के प्लांट के टैंक को साफ करने के लिए उतरे दो भाईयों की दम घुटने से मौत हो गई। वहीं उन्हें बचाने के लिए प्लांट में उतरे गांव के ही दो लोग बेहोश हो गए। जिनका जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। बताया गया है कि प्लांट की जहरीली गैस के संपर्क में आने से यह हादसा हुआ है। पिछले साल भी ऐसे ही एक हादसे में बमीठा थाना क्षेत्र के ग्राम धमना में दो किसानों की मौत हो गई थी।
जानकारी के अनुसार ग्राम कटारे के पुरवा में हरिप्रसाद पटेल के खेत पर पिपरमेंट का प्लांट लगा था। यह प्लांट जुलाई महीने से बंद था। इस प्लांट को चालू किया जाना था। इसके लिए मंगलवार को हरि का बेटा शिवम पटेल और उसका भतीजा चरण पटेल प्लांट की टंकी को साफ करने के लिए उतरे थे। इस पर जहरीली गैस के संपर्क में आने से उनकी मौत हो गई। उन्हें बचाने के लिए पहुंचे दो युवक भी बेहोश हो गए। गांव के लोगों ने मौके पर जाकर चारों लोगों को निकाला और जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां दो युवकों को मृत घोषित कर दिया गया। दो युवकों का अभी इलाज चल रहा है। इस घटना से पूरे गांव में मातम छा गया। जिला अस्पताल में दोनों शवों का पीएम करने के बाद परिजनों को सौंप दिए गए।
पिछले साल भी हो गई थीं दो लोगों की मौत :
जिले के बमीठा थाना इलाके के ग्राम धमना में पिछले साल 6 जुलाई 18 की रात 9 बजे एक पिपरमेंट प्लांट में उतरे मजदूर और उस प्लांट के मालिक की गैस रिसाव के कारण मौत हो गई थी। धमना निवासी कमलेश साहू का गांव के पास ही एक खेत पर पिपरमेंट का प्लांट था। घटना वाली रात करीब 9 बजे प्लांट में काम करने वाले गांव के ही सुरेश पिता बाबूलाल राय (37) प्लांट में चैन डालने के लिए नीचे उतरा था। इसी दौरान कोई जहरील गैस का रिसाव हो जाने से वह इसमें बेहोश हो गया। कुछ देर तक जब सुरेश की कोई आहट नहीं आई तो प्लांट के पास मौजूद कमलेश साहू भी प्लांट में उतर गया। जहां वह भी बेहोश हो गया। अन्य लोगों ने कुछ देर बाद जब इन्हें देखा तो तुरंत बाहर निकाला और अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टर ने दोनों को मृत घोषित कर दिया था।
बुंदेलखंड में तेजी से बढ़ रहा है पिपरमेंट की खेती का चलन :
सूखा और अवर्षा से जूझने वाले बुंदेलखंड में पिपरमेंट की उस खेती का चलन तेजी से बढ़ा है। इस खेती में सबसे ज्यादा पानी लगता है। पानी का संकट होने की स्थिति में जब लोगों को कम पानी में पैदा होने वाली फसलें लगाने की सलाह दी जाती है, ऐसे समय में लोग अधिक फायदे के लालच में पिपरमेंट की खेती करने में लगे हैं। पिछले एक दशक में बुंदेलखंड के गांव-गांव में पिपरमेंट की खेती होने लगी है। पानी के लिहाज से पहले ही यह खेती नुकसानदायक साबित हो रही थी। अब इसमें बनने वाली गैस जानलेवा भी होने लगी है।