चूरू. सुबह करीब 11 बजे। जिले की आदर्श ग्राम पंचायत के पास रेतीले धोरों के बीच सुलखनिया जोहड़ पर चल रहा मनरेगा कार्य। जोहड़ से गांव तक के कच्चे रास्ते में चिलचिलाती धूप के बीच पेड़ों की छांव के नीचे सुस्ताते मजदूर।
यहां कार्यस्थल पर ना तो सरकार के नियमानुसार मजदूरों के लिए छांव के कोई इंतजाम हैं और ना ही बीमार होने की स्थिति में देने के लिए दवा की व्यवस्था। यहां तक की नियमों के बावजूद मजदूरों को कस्सी-फावड़े-तगारी तक नहीं दी जा रही। ऐसे में मजदूर अपने घरों से ही कस्सी फावड़े लाकर मजदूरी कर रहे है। इस आग उगलती ५० डिग्री भीषण गर्मी में मजदूर बेहाल हैं। सुबह 11 बजे पत्रिका संवाददाता कार्य स्थल पर पहुंचा तो मजदूर वापस घर लौटते मिले। जबकि काम का समय सुबह छह से दोपहर दो बजे तक है। संवाददाता को देखकर इधर-उधर रास्ते में बैठे महिला-पुरुष मजदूर वापस कार्यस्थल पर पहुंच गए। यहां पहुंचने पर पता चला कि २०७ में से १९ मजदूर अनुपस्थित थे। मेट ने मस्टरोल में इनकी अनुपस्थिति लगा रखी थी। यहां कार्यरत चार में से एक मेट भी नदारद मिला। पूछने पर मजदूर शंकरसिंह ने बताया कि मजदूरी कभी ५० तो कभी ७० रुपए मिल रही है। कई मजदूरों को छह-छह महीने से मजदूरी नहीं मिली है। कस्सी-फावड़े भी घर से ही लाने पड़ रहे हैं। ७५ वर्षीय परमेश्वरी का कहना था कि सरकार ने छांव की कोई व्यवस्था नहीं की है। ना ही दवा की कोई व्यवस्था है।
दोपहर दो की बजाय 11 बजे छुट्टी
फिलहाल मनरेगा कार्यस्थलों पर काम का समय सुबह छह से दोपहर दो बजे तक है। मगर मजदूर और मेट पौने 11 बजे ही छुट्टी करके वापस घर लौटते मिले। जबकि मेट ने मस्टरोल में दोपहर दो बजे तक की ड्यूटी दिखा रखी थी।
यहां कार्यस्थल पर मनरेगा मजदूरों के लिए न दवाई का इंतजाम है और ना ही पानी के लिए मटके के इंतजाम है। कल मैं अचानक बीमार हो गया। मगर कोई दवा नहीं दी गई। बाद में मेट ने ओआरएस के पैकेट लाकर दिए हैं।
प्रभुलाल शर्मा, मनरेगा मजदूर
घांघू
मजदूरी का समय सुबह छह से दोपहर दो बजे तक है। कई बार अधिकारियों से कह चुके हैं मगर छांव, दवा, कस्सी-फावड़े, पालने के इंतजाम नहीं किए गए हैं। छह अप्रेल से जोहड़ पर खुदाई का काम चल रहा है। एक मजदूर को ४१ मण मिट्टी खोदने पर १९२ रुपए मजदूरी मिलती है। मगर मजदूरों उनके काम के मुताबिक पूरी मजदूरी भी नहीं मिल रही है।
राकेश कुमार, मेट
मनरेगा, घांघू
पानी के लिए इंतजाम है। छांव के लिए भी टैंट लगाने के लिए कह रखा है। दवा की व्यवस्था करवाएंगे। बाकी भीषण गर्मी की वजह से 11 बजे तक ही काम कर रहे हैं।
-जेपी शर्मा, सरपंच
ग्राम पंचायत, घांघू