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नगरपरिषद की फौरी कार्रवाई, दूसरे दिन धड़ल्ले से चल रही थी बेसमेंट में पढ़ाई

डूंगरपुर दिल्ली में बेसमेंट एरिये में कोचिंग संस्थान के संचालन के दौरान हुए हादसे के बाद नगरपरिषद ने कार्रवाई तो जरूर शुरू की, लेकिन वो महज खानापूर्ति तक ही सीमित रही। पहले तीन परिषद की टीम ने तीन भवनों को सीज करने के साथ कुछ अन्य को बेसमेंट का शैक्षिक व कॉमर्शियल उपयोग नहीं करने को लेकर पाबंद जरूर किया, लेकिन दूसरे दिन आलम यह रहा कि बेसमेंट में लाइब्रेरी एवं कई भवनों में कॉमर्शियल गतिविधियां धड़ल्ले से चलती दिखाई दी। पत्रिका टीम ने शहर में पड़ताल की तो संभागीय आयुक्त के आदेशों की अवहेलना भी साफ तौर पर नजर आई।

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डूंगरपुर

दिल्ली में बेसमेंट एरिये में कोचिंग संस्थान के संचालन के दौरान हुए हादसे के बाद नगरपरिषद ने कार्रवाई तो जरूर शुरू की, लेकिन वो महज खानापूर्ति तक ही सीमित रही। पहले तीन परिषद की टीम ने तीन भवनों को सीज करने के साथ कुछ अन्य को बेसमेंट का शैक्षिक व कॉमर्शियल उपयोग नहीं करने को लेकर पाबंद जरूर किया, लेकिन दूसरे दिन आलम यह रहा कि बेसमेंट में लाइब्रेरी एवं कई भवनों में कॉमर्शियल गतिविधियां धड़ल्ले से चलती दिखाई दी। पत्रिका टीम ने शहर में पड़ताल की तो संभागीय आयुक्त के आदेशों की अवहेलना भी साफ तौर पर नजर आई।

यह तो महज बानगी

केस एक – शहर के अस्पताल मार्ग पर बेसमेंट में लाइब्रेरी का संचालन शुक्रवार को हो रहा था। यहां दो कमरों में पंद्रह से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत थे। पत्रिका की टीम पहुंचने के साथ ही वहां से गुजर रही नगरपालिका की टीम भी यहां रूकी एवं यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को बाहर निकाला। यहां लाइब्रेरी संचालक नहीं था। जिस पर यहां कार्यरत सहायक को आगे से इसका उपयोग नहीं करने के लिए पाबंद किया, लेकिन भवन को सीज करने की कार्रवाई नहीं की गई।

केस दो- शहर में सुनेरिया तालाब के आसपास का क्षेत्र अतिसंवेदनशील की श्रेणी में है। इसके बावजूद यहां आसपास बेसमेंट में कॉमर्शियल गतिविधियां चल रही है। अतिवृष्टि एवं अन्य हालातों में बड़ी परेशानी से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद परिषद की टीम ने अब तक इन संचालकों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई तक नहीं की है। ऐसे ही हाल शहर के हॉस्पिटल चौराहा, प्रतापनगर कॉलोनी व गांधी आश्रम कॉलोनी में भी कई जगह पर है, जो अब भी परिषद की नजरों से दूर है। इसके अलावा सदर चौराहा के समीप एक कॉम्पलेक्स के बेसमेंट काे भी काॅमर्शियल काम में लिया जा रहा है।

मंजूरी तक नहीं है

नगरपरिषद सूत्रों के अनुसार शहर के बडे भवन के बेसमेंट का उपयोग महज पार्किंग के लिए हो सकता है, लेकिन इसके इतन यहां कामर्शियल उपयोग हो रहा है। इसकी बकायदा नगरपरिषद से मंजूरी भी लेनी होती है, लेकिन अधिकांश ने इसकी मंजूरी तक नहीं ली है।

इनका कहना है

शहर में भवनों के बेसमेंट में चल रहे काॅमर्शियल दुकानों को सीज किया जाएगा। इसको लेकर टीम ने ३९ दुकानों को चिह्नित किया है। जिन पर जल्द कार्रवाई की जाएगी।

प्रभुलाल भाबोर आयुक्त नगरपरिषद डूंगरपुर