गाजीपुर. आपने देखा होगा कि थाने को चलाने के लिए कोतवाल या थानाध्यक्ष होते है। लेकिन यूपी के गाजीपुर में एक ऐसा थाना है जो ब्रह्म बाबा चलाते हैं। यह थाना गाजीपुर जिले के नंदगंज में है।
आजादी के पूर्व का है ये थाना
यह थाना आजादी के पूर्व का है। इसमें आजादी के समय का बना फांसी घर भी अब तक वैसे ही है। इसी थाने में एक ब्रह्म बाबा का स्थान जो पुलिसकर्मियों द्वारा दिया गया है। इस थाने की मान्यता है कि बिना बाबा के आशीर्वाद के थाना नहीं चल सकता। ये बात पुलिस और स्थानीय लोगों से भी सुनने की मिलता है कि अपराधियों को पकड़वाने तक में बाबा मदद करते हैं।
ऐसा हुआ तो इलाके में अनहोनी होना तय
किसी भी नये थानाध्यक्ष की ड्यूटी बाबा के आशीर्वाद के बिना नहीं शुरू होती। अगर भूल वस बाबा का पूजा या उनके स्थान पर बाहरी गंदगी पहुंच जाए तो पुलिसिंग के लिए सरदर्द बन जाता है। क्योंकि उस दिन थाना इलाके में कोई न कोई बड़ी अनहोनी हो जाती है ऐसी मान्यता है।
इस थाने के नाम से डरते हैं पुलिस
जिस तरह लोग पुलिस के नाम से डरते हैं वैसे पुलिस गाजीपुर के नंदगंज थाने के नाम से डरती है। ब्रम्ह बाबा के बगैर पूजन अर्चन किए पुलिस थाने का कोई भी काम नहीं शुरू करती है । उस थाने में गंदगी न हो इसके लिए विशेष कांस्टेबल और होमगार्ड की ड्यूटी लगाई जाती है।
अंग्रेजों के जमाने का है यह थाना
यूपी के गाजीपुर का नंदगंज थाना है अंग्रेजों के समय का है जिसकी गवाही यहां की बनी बिल्डिंग देती है जिसमें साफ देखा जा सकता है कि अंग्रेजों ने अपने वक्त में गोली चलाने के लिए बिल्डिंग के बारजे की डिजाइनिंग की है। इतना ही नहीं इस थाने के अंदर वह स्थान भी मौजूद है जहां पर अंग्रेज अपने वक्त में लोगों को फांसी दिया करते थे। समय बदला और भारत अंग्रेजों के हाथ से आजाद हुआ और उसके बाद से ही इसमें नंदगंज थाने को स्थापित किया गया। शुरु में तो कुछ दिन यहां ठीक चलता रहा लेकिन आज से तकरीबन 20- 25 साल पूर्व थाने के अंदर एक व्यक्ति की मौत हो गई और उसके बाद से ही थाना क्षेत्र के इलाके में आए दिन आपराधिक घटनाएं बढ़ने लगे। थाने पर तैनात पुलिस अधिकारियों को समझ में नहीं आ रहा था यह सब अचानक कैसे हो गया। फिर उसके बाद इन लोगों ने उस वक्त जानकार पंडितों से सलाह मशवरा किया तब उन्हें इस बात का ज्ञान हुआ कि जो व्यक्ति मारा था वह ब्राह्मण था और वह अब ब्रह्म बन चुका है। वह सबके लिए पूजनीय है लोग बताते हैं कि उस वक्त जहां पर उस ब्राह्मण की मौत हुई थी वहां पर किसी भी तरह की गंदगी या फिर जाने अनजाने में कोई भी गलत कार्य हो जाता था तो उस थाना क्षेत्र में आपराधिक घटनाओं की भरमार हो जाया करते थे। इन सभी की जानकारी के बाद पहले तो उस स्थान को पवित्र स्थान माना गया और फिर धीरे-धीरे उस पवित्र स्थान की बैरिकेटिंग कर दिया गया। ताकि लोग उसमें आ जा न पाए। यहां पर जब दिन की शुरुआत होती है तब थाने के सभी सदस्य चाहे वह थाना अध्यक्ष हो या फिर कांस्टेबल सभी लोग नहा धोकर पहले उस पवित्र स्थान पर पूजन करते हैं । उसके बाद ही अपना कोई अन्य कार्य करते हैं। अगर कभी किसी ने कोई गलती कर दिया तो उसका खामियाजा पूरे थाने को भुगतना पड़ता है। इतना ही नहीं यहां कि मान्यता यह भी है कि अंग्रेजों के जाने के बाद थाना अध्यक्ष के लिए जो कमरा मिला हुआ था जिसमें थानाध्यक्ष बैठकर लोगों की फरियाद सुन सके उसका निस्तारण कर सके। लेकिन उस कमरे में जिस थानाध्यक्ष ने भी बैठने की जुर्रत किया उसका अगले दिन ही बोरिया बिस्तर बंध गया है। इसी डर से यहां का कोई भी थानाध्यक्ष अपने कमरे में नहीं बैठता बल्कि वह पवित्र स्थान ब्रहम बाबा के पास ही अपना बैठने का स्थान बनाया हुआ है जो आज भी एक परंपरा के अनुसार चला आ रहा है।