नेमीनाथ व आदिनाथ भगवान के श्लोक कंठस्थ
पुष्पा चौधरी को 30 सज्झाय, 50 स्तवन, 30 स्तुतियां, 9 स्मरण, 5 प्रतिक्रमण और नेमीनाथ भगवान के 82 एवं आदिनाथ भगवान के 62 गाथा कंठस्थ हैं। हर श्रावण शुक्ल पंचमी को वे ये श्लोक बिना देखे बोलती हैं, जो किसी साध्वी-संत की साधना जैसी प्रतीत होती है। उनका जीवन यह बताता है कि जब श्रद्धा और साधना से कोई जीवन जुड़ता है, तो वह न सिर्फ स्वयं प्रकाशमान होता है, बल्कि दूसरों को भी रोशनी देता है। पुष्पा चौधरी न केवल एक धर्मनिष्ठ साधिका हैं, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत हैं, जो यह सिखाती हैं कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी धर्म, सेवा और तप का अद्भुत समन्वय संभव है।
250 धार्मिक पुस्तकों का संग्रह
विवाह के बाद से बीते 42 वर्षों से वे धार्मिक कार्यों में पूर्ण रूप से सक्रिय हैं। इन दिनों उनकी वर्धमान तप की 12वीं ओली चल रही है। पिछले 20 वर्षों से उन्होंने रात्रि भोजन का त्याग कर रखा है और एक उपधान भी पूर्ण किया है। वे धर्मसभाओं में सज्झाय के चढ़ावे खुद बोलती हैं और भक्तों के बीच उनकी उपस्थिति विशेष मानी जाती है। हाल ही में वे देवनहल्ली में नव्वाणु कर आईं और चार अ_ाई कर चुकी हैं। वे नियमित रूप से 15 से 20 मिनट पाठशाला में जाकर सूत्रों का रिवीजन करती हैं और प्रतिदिन 2 से 3 घंटे धार्मिक अध्ययन व साधना में बिताती हैं। उनके पास करीब 250 धार्मिक पुस्तकों का संग्रह है।
नई पीढ़ी में बो रही धार्मिक बीज
पुष्पा चौधरी का धर्म से यह जुड़ाव संयोग नहीं, बल्कि चार दशक पहले सिवाणा में साध्वी भगवंत कुसुमप्रभाश्री, गुणप्रभाश्री और चरित्ररत्नाश्री के चातुर्मास के दौरान उत्पन्न आध्यात्मिक लगाव का परिणाम है। साध्वी भगवंत ने उन्हें राग बताई और तब से उनका जीवन धर्म के पथ पर अग्रसर है। पुष्पा चौधरी के पिता छगनराज स्वयं धर्मप्रेमी व्यक्ति थे, जिनके पास धार्मिक पुस्तकों का बड़ा संग्रह था। यही पारिवारिक संस्कार पुष्पा चौधरी को विरासत में मिले। उनके पति ललित चौधरी, बेटे प्रवीण व निकित, बेटियां प्रियंका और निकिता सभी उनके धार्मिक कार्यों में सहभागी हैं। आज पुष्पा चौधरी अपनी पोतियों छवि, आर्वी, क्रिवी एवं खनक, पोते रेयन्स, दोहिती टिया और दोहिते पर्व को प्रतिक्रमण सिखाकर अगली पीढ़ी में भी धार्मिक बीज रोपित कर रही हैं।