राजस्थान पत्रिका एक विश्वसनीय एवं निष्पक्ष समाचार पत्र है। पत्रिका जनता का प्रहरी बनकर समस्याओं के समाधान में सदैव अग्रणी रहा है। आम जन एवं सरकार के बीच सेतु के रूप में पत्रिका अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा है। पत्रिका आज हर घर का साथी बन चुका है। बल्कि चाय की शुरुआत आज भी पत्रिका पढऩे के साथ होती है। राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली के 19 वें स्थापना दिवस के अवसर पर राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में पत्रिका के सुधी पाठकों ने कुछ ऐसी ही राय व्यक्त की। प्रस्तुत है परिचर्चा के अंश:
डाक से पहुंचती थी पत्रिका
वर्ष 1990 के आसपास राजस्थान पत्रिका यहां डाक से आती थी। हालांकि तब पत्रिका कुछ दिनों बाद मिलती थी लेकिन तब भी राजस्थान के समाचार हम चाव से पढ़ते थे। हमारे क्षेत्र के समाचार हमें राजस्थान पत्रिका के माध्यम से ही पढऩे को मिलते थे। पत्रिका को पढऩे के लिए हम डाक का इंतजार किया करते थे। उस समय मोबाइल नहीं थे। ऐसे में समाचार पत्र ही समाचारों का बड़ा माध्यम हुआ करता था। पत्रिका से हमें बहुत सीखने को भी मिला। इस तरह से पत्रिका ने समाज में अपनी अहम भूमिका अदा की है।
– किशोर पटेल, गोलिया चौधरियान निवासी।
रीति-रिवाज व परम्पराएं आगे बढ़ा रहे
राजस्थान से दक्षिण में आकर बसे प्रवासी अपनी रीति-रिवाज व परम्पराओं को बनाए हुए हैं। कई खेलकूद गतिविधियों का आयोजन यहां किया जा रहा है। आपसी मेलजोल बढ़ाने एवं मैत्रीभाव को लेकर विभिन्न अवसरों पर खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्रवासी उत्साह के साथ शामिल होते है। ऐसे आयोजन समय-समय पर किए जाते हैं।
– भगाराम चौधरी, डांवरा निवासी।
भजन संध्याओं का आयोजन
प्रवासी यहां धार्मिक आयोजनों में भी अग्रणी रहते हैं। समय-समय पर भजन संध्याओं के आयोजन होते रहे हैं। राजेश्वर भवन में हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को रात्रि 9 बजे से 12 बजे तक भजन संध्या आयोजित की जाती है। प्रवासी समाज के लोग विभिन्न स्थानों पर मंदिर एवं तीर्थ स्थलों के दर्शन के बाद जब वापस लौटते हैं तब भी ऐसी भजन संध्याओं का आयोजन किया जाता है। भजन संध्याओं से मन को शांति व सुकून मिलता है।
– रमेश पटेल, दांतीवास निवासी।
पर्व-त्यौहार उत्साह के साथ मना रहे
राजस्थान के लोग यहां पर्व-त्यौहार उत्साह के साथ मना रहे हैं। गेर नृत्य का आयोजन यहां पिछले छह साल से लगातार हो रहा है। इस बार सातवां आयोजन है। जैसे राजस्थान में होता रहा है कुछ वैसे ही ढोल-थाली की थाप पर गेर नृत्य की प्रस्तुति दी जाती है। इस बार भी चार अलग-अलग गेर नृत्य दल अपनी प्रस्तुति देंगे। इसकी तैयारी भी अभी से शुरू कर दी गई है।
– मगाराम (मदन) तरक, खाखरलाई निवासी।
बिजनस में आगे बढ़ रहा देवासी समाज
देवासी समाज आज बिजनस के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। कभी पशुपालन एवं खेती से जुड़ा देवासी समाज आज न केवल बिजनस बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी प्रगति कर रहा है। दक्षिण भारत में विभिन्न राज्यों एवं जिलों में देवासी समाज बड़ी संख्या में बिजनस में आगे आया है।
– भोपाराम देवासी, इन्द्राणा निवासी।
समय के साथ बदलाव
पहले देवासी समाज का मुख्य पेशा पशुपालन ही रहा है लेकिन समय के साथ लगातार बदलाव आ रहा है। अन्य समाजों को देखकर भी देवासी समाज ने भी अब जमाने के साथ कदम बढ़ाते हुए विभिन्न क्षेत्रों में खुद को स्थापित किया गया है। यही वजह है कि बिजनस में भी देवासी समाज ने आज तरक्की है। राजस्थान और अन्य क्षेत्रों से लगातार समाज के लोग दक्षिण में आकर बिजनस में आगे बढ़ रहे हैं।
– मोहन देवासी, गांवड़ी निवासी।