संसार सारा राम को ढूंढ़ता है, मैं राम में संसार देखता हूं
‘बज़्म-ए-कलम’ में चला लफ्जों का जादू
जेकेके में मुशायरा, हसीन हुई शाम
जयपुर। जवाहर कला केंद्र रविवार को हसीन शाम का गवाह बना। रंगायन सभागार में उम्दा शायरों ने अपने लफ्जों से माहौल रूहानी बना दिया। मौका था जेकेके, डॉ.भव्य सोनी फाउंडेशन और दी आर्टशाला स्टूडियो की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित मुशायरा ‘बज़्म-ए-क़लम’ का।
जयपुर समेत अन्य शहरों से पहुंचे दिग्गज शायरों ने मंच साझा किया। जयपुर के सेंटी शर्मा ने सबसे पहले शायरी पढ़ी। इसी के साथ लोग रोमांचित हो उठे। जिनको पहना दी गई हो पगडयि़ों के नाम पर, उनसे पूछिए कितनी भारी है चूडिय़ां जैसी शायरियों से अफज़ल अली अफज़ल ने वाहवाही लूटी। इनके बाद अनंत गुप्ता और पारुल सिंह नूर ने महफिल को आगे बढ़ाया। संसार सारा राम को ढूंढ़ता है, मैं राम में संसार देखता हूं, शायर बकर ने अपनी इन पंक्तियों से श्रोताओं को आध्यात्मिक अहसास दिलाया। उसकी तरफ अगर नहीं है ध्यान आपका, तो कर रहे हैं आप ही नुकसान आपका इस शेर से अविनाश जोशी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। सुहैल हाशमी, चराग शर्मा, वरुन आनंद, सलिम सलीम ने मुशायरे की लय बनाए रखी। तालियों की गडगड़़ाहट के साथ कार्यक्रम आगे बढ़ा। बतौर सदर ए मोहतरम कमान संभाल रहे वरिष्ठ शायर जनाब लोकेश सिंह साहिल की शायरियां लोगों ने दिल थाम कर सुनी।