बुनकर सेवा केंद्र, कार्यालय विकास आयुक्त हथकरघा और पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की ओर से चल रही हथकरघा उत्पादों की प्रदर्शनी अब 30 मई तक चलेगी।
बुनकर सेवा केंद्र के उपनिदेशक तपन शर्मा ने बताया कि प्रदर्शनी की अंतिम तारीक 28 से बढ़ाकर 30 मई कर दी गई है।
हेंडलूम के उत्थान के लिए कर रहे प्रयास…
तपन शर्मा ने बताया की देश में पावरलूम के चलन के बाद बुनकरों की नोकरी पर संकट गहरा गया। बुनकरों को बहतर रोजगार देने के लिए डब्ल्यूएससी ने उन्हे नए तरीके सिखाएं है। देश के कुछ बुनकरों को एक वक्त का खाना भी नहीं मिल पाता। उनको फिर से मार्केट से जोड़ने के लिए डब्ल्यूएससी की ओर से प्रयास किया जा रहा है।
एक साड़ी को बनाने में लगते है 45 दिन…
हाथ से बुनी साडियों में लगभग 45 दिन का समय लगता है। तपन ने बताया की उन्होंने बुनकरों को पुरानी विधाओं की साड़ियों को भी नए तरह से अपडेट करने के तरीके बताए जा रहे है। प्रदर्शनी में साड़ियों की बुनाई में एल्बर्ट हॉल, हवामहल, जैन मंदिर व अन्य की प्रतियां दिखाई गई है।
दूध व चिप्स की थेली से बनाए फर्निचर…
प्रदर्शनी में वेस्ट मटीरियल से बने फर्निचर व अन्य सजावटी सामान भी प्रदर्शीत किया गया है। दूध व चिप्स की खराब थेलियों के साथ रस्सी के मेल से बुनकर तैयार हुए यह सामान प्रदर्शनी में दर्शकों के बीच एक खास जगह बनाए हुए है। इस कला से बनाए सामानों में पैन होल्डर, घमला स्टेंड व कुर्सी आदी वस्तुए प्रदर्शीत की गई है।