चार जनवरी से स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होने जा रहा है….शहर की पटरी से उतर चुकी सफाई व्यवस्था….तैयारियां नहीं होने से रैकिंग में सुधार पर सवाल उठने लगे हैं..
जयपुर शहर की सफाई में रैकिंग में हुआ था 176 रैंक का सुधार
2018 में जयपुर शहर की रैंकिंग बनी थी 39 वीं
जयपुर शहर की रैंकिंग 2017 में थे 215
स्वच्छता का संदेश देने के लिए निगम ने बनाया था गीत
स्वच्छ भारत का इरादा कर लिया हमने…..इरादा कर लिया है हमने…..जयपुर को स्वच्छ बनाना है ….कुछ इसी तरह का संदेश नगर निगम के डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाले वाहन देते थे….लेकिन सरकार बदलने के साथ ही निगम के कचरा उठाने वाले वाहन अब यह संदेश नहीं दे रहे हैं……इनकी जगह कचरा संग्रहण करने वाहनों में फिल्मी गाने बजाए जा रहे हैं
इस तरह के गाने बजाने के बारे में जब हुपर चालक से पूछा गया तो उसने कहा कि पेनड्राइव में गाना रिकार्ड करके दिया गया था जो अब खराब हो गया है ऐसे में लोगों का पता चले इसी वजह से गाने बजा रहे हैं
स्वच्छता का संदेश और जयपुर की रैंकिंग में सुधार को लेकर तैयार गीत लोगों के दिमाग तक पहुंच बनाने में सफल हुआ था….यह गीत सभी को याद हो गया था….लोगों को इससे प्रेरणा भी मिली थी और गाड़ी आने के साथ ही लोगों घरों से कचरा लेकर निकल आते थे….अब स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होने में एक सप्ताह से भी कम समय बचा है और शहर में जगह जगह कचरे का ढ़ेर लगे हुए हैं….इस पर निगम की ओर से अब तक स्वच्छता को लेकर किसी भी तरह की कार्ययोजना तैयार नहीं हुई है…..
जयपुर नगर निगम ने 176 रैंक की छलांग लगाते हुए 2018 में 39 वीं रैंक हासिल की थी….जबकि 2017 में जयपुर की रैकिंग 215 थी…..टॉप 50 में जगह बनाने पर जयपुर की हर जगह प्रशंसा भी हुई…..रैकिंग सुधार के लिए निगम ने रात दिन एक कर दिए थे….महीनों तक लोगों को स्वच्छता का संदेश दिया गया…..जनजागृत्ति अभियान भी चलाया….महापौर, निगम आयुक्त ने रात रात भर दौरे किए….नाइट स्वीपिंग का जायजा लिया….जिसका परिणाम निकला था जयपुर की रैंकिंग में सुधार हुआ।
शहर की स्वच्छता रैंकिंग में सुधार के लिए शहरवासियों के साथ निगम अधिकारियों को भी तैयार होना चाहिए….लेकिन शहर में लगे कचरे गंदगी के ढ़ेर और अधिकारियों की लापरवाही के चलते शहर की रैंकिंग सुधार की संभावनाएं कमजोर कर रही है।