– अनमोल वास्तुकला का ढहता स्वरूप, उद्यान के नाम पर कंटीली झाड़ियां
जयपुर- कोटपूतली। कस्बे में स्थित गंगासागर तालाब (गांधी उद्यान) अपने आप में वास्तुकला का एक बेजोड़ नमूना है। यह ऐतिहासिक धरोहर 1845 ईस्वी के आसपास खेतड़ी रियासत के मुख्तियार रामनाथ पुरोहित द्वारा अपने पुत्र गंगाराम की स्मृति में बनवाई गई थी। तोरावाटी क्षेत्र की यह पहचान अपने सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और भावनात्मक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। जिसके बाएं तरफ प्रसिद्ध तालाब वाला शिव मंदिर और दाएं तरफ प्रसिद्ध हनुमान मंदिर और सामने शनि मंदिर स्थित है जहां वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
भव्य स्थापत्य की मिसाल
गंगासागर तालाब चार भव्य प्रवेश द्वारों और छतरीनुमा कंगूरों से सुसज्जित है जो इसकी स्थापत्य कला को अनूठा बनाते हैं। चारों दिशाओं में बने प्रवेश द्वारों से 25-25 सीढ़ियाँ उतरकर सीधे तालाब के कुंड तक जाती हैं। कुंड के चारों ओर बनी आठ आयताकार सीढ़ियों का घेरा उस समय की परंपरागत इंजीनियरिंग दक्षता को दर्शाता है।
मुख्य प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा से है। सीढ़ियों के दाएं और बाएं सुंदर तीबारीयों(मेहराबदार कमरे) का निर्माण है, दक्षिण दिशा की सीढ़ीयों में बाई तरफ कमरा सहित तीबारी का निर्माण है व ईशान कोण में बने कुए के मध्य जाने का रास्ता है। पूरब दिशा की सीढ़ियां उतरकर मुख्य कुंड के दाएं और बाएं तीबारीयों का निर्माण है। उत्तर दिशा की सीढ़ियां सीधे तालाब कुंड तक जाती हैं। उस समय की कुशल इंजीनियरिंग का कमाल है गंगासागर तालाब।
प्रशासनिक उपेक्षा से बदहाल हुई स्थिति
यह ऐतिहासिक धरोहर आज प्रशासनिक उपेक्षा के कारण अपनी चमक खोती जा रही है। करीब 30-35 वर्ष पहले तत्कालीन एसडीओ शिम्भू दयाल नाजीम ने इसे गांधी उद्यान का नामकरण कर विकसित करने का प्रयास किया था। कुछ वर्ष पूर्व नगर पालिका ने भी गंगासागर तालाब को गोद लेकर इसमे रंग रोगन,वृक्षारोपण व बैठने के स्थानों का निर्माण कराया। तत्कालीन विधायक आर एस गौड़ ने पानी की व्यवस्था के लिए विधायक कोटे से बोरिंग करवाई, परंतु समुचित देखरेख के अभाव में इन सभी प्रयासों पर पानी फिर गया।
संरक्षण के अभाव में ढहती धरोहर
पिछले वर्ष भारी बारिश के कारण तालाब का एक हिस्सा ढह गया था लेकिन नगर परिषद की ओर से अब तक कोई मरम्मत कार्य नहीं कराया गया है। वर्तमान में तालाब की स्थिति बेहद खराब है वृक्षारोपण पर लगाए गए पौधों के कोई नामोनिशान बाकी नहीं है और चारों ओर बबूल की कंटीली झाड़ियाँ उग आई हैं। कभी शांत पर्यटन स्थल के रूप में पहचान रखने वाला यह स्थान अब असामाजिक तत्वों और नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है जो यहां गांजे, शराब, ड्रग्स, गुटखा सिगरेट आदि का आराम से सेवन करते हैं, जिससे यहाँ आने वाले लोग दिन में भी सुरक्षित महसूस नहीं करते।
धरोहर बचाने के लिए जागरूकता की जरूरत
समाज के विभिन्न जागरूक वर्गों ने समय-समय पर गंगासागर तालाब के संरक्षण की माँग की है लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के कारण इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कोटपूतली के नागरिकों का मानना है कि यदि तालाब का सही तरीके से संरक्षण और पुनरुद्धार किया जाए, तो यह एक सुंदर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है।
कोटपूतली की यह ऐतिहासिक धरोहर केवल स्थानीय विरासत नहीं बल्कि भावनात्मक, धार्मिक, स्थापत्य और सांस्कृतिक धरोहर भी है। स्थानीय लोग नगर परिषद और जिला प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि वे गंगासागर तालाब के पुनरुद्धार के लिए ठोस कदम उठाएं और इस समृद्ध धरोहर को संरक्षित और संवारा जाए ताकि भविष्य की पीढ़ियां भी इस गौरवशाली धरोहर से प्रेरणा ले सकें।