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उम्र 93 वर्ष, शौक कुश्ती

उम्र 93 वर्ष, शौक कुश्ती। स्थान दक्षिण भारत का मदुरै शहर। इलाका पलंगनाथम। यह परिचय न किसी अभिनेता का है और न यह पता किसी राजनेता का। यह पता है उम्र को महज एक नंबर साबित करने वाले का। जिस उम्र में लोग चलने फिरने को तरस जाते हैं,वहीं वह इनके शौक को देखकर शॉक रह जाते हैं। जी हां,बात कर रहे हैं कुश्ती के दांव पेंच सिखाकर अखाड़े में उम्र को मात दे रहे पलानी की। पलानी 93 वर्ष की उम्र में न केवल खुद कुश्ती लड़ रहे हैं बल्कि अपने अखाड़े में दांव पेंच सिखाकर कई पहलवानों को तैयार भी कर रहे हैं। धूप हो या बरसात। गर्मी हो या फिर सर्दी पलानी को अपने पलंगनाथम इलाके बने उनके अखाड़े में हर दिन कुश्ती सिखाते और इसके दांव पेंच का अभ्यास करते देख सकते हैं। इस उम्र में पलानी को कुश्ती करता देखकर कई लोग प्रेरणा ले रहे हैं। पलानी बताते हैं कि उन्होंने यह अखाड़ा 1994 में शुरू किया था। शुरुआत में तो उतना क्रेज युवाओं में देखने को नहीं मिला लेकिन एक बार युवाओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ तो वह अब तक जारी है। वह बताते हैं कि वह पहलवानों को पहले व्यायाम कराते हैं और इसमें किसी भी प्रकार की मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता है। वह कहते हैं कि कुश्ती के दांवपेंच सिखाते हुए 75 साल से अधिक हो गए लेकिन उन्होंने खुद भी किसी मशीनरी का प्रयोग नहीं किया। अब वह खुद को और छात्रों को फिट रखने के लिए कुश्ती करने के लिए प्रेरित करते हैं। यही वजह है कि पलानी के अखाड़े में बूढ़े हों या जवान दोनों ही कुश्ती के दांवपेंच सिखने के लिए खींचे चले आते हैं।

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Neha Nirala

Jul 13, 2019

उम्र 93 वर्ष, शौक कुश्ती। स्थान दक्षिण भारत का मदुरै शहर। इलाका पलंगनाथम। यह परिचय न किसी अभिनेता का है और न यह पता किसी राजनेता का। यह पता है उम्र को महज एक नंबर साबित करने वाले का। जिस उम्र में लोग चलने फिरने को तरस जाते हैं,वहीं वह इनके शौक को देखकर शॉक रह जाते हैं। जी हां,बात कर रहे हैं कुश्ती के दांव पेंच सिखाकर अखाड़े में उम्र को मात दे रहे पलानी की।
पलानी 93 वर्ष की उम्र में न केवल खुद कुश्ती लड़ रहे हैं बल्कि अपने अखाड़े में दांव पेंच सिखाकर कई पहलवानों को तैयार भी कर रहे हैं। धूप हो या बरसात। गर्मी हो या फिर सर्दी पलानी को अपने पलंगनाथम इलाके बने उनके अखाड़े में हर दिन कुश्ती सिखाते और इसके दांव पेंच का अभ्यास करते देख सकते हैं। इस उम्र में पलानी को कुश्ती करता देखकर कई लोग प्रेरणा ले रहे हैं।
पलानी बताते हैं कि उन्होंने यह अखाड़ा 1994 में शुरू किया था। शुरुआत में तो उतना क्रेज युवाओं में देखने को नहीं मिला लेकिन एक बार युवाओं के आने का सिलसिला शुरू हुआ तो वह अब तक जारी है। वह बताते हैं कि वह पहलवानों को पहले व्यायाम कराते हैं और इसमें किसी भी प्रकार की मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता है। वह कहते हैं कि कुश्ती के दांवपेंच सिखाते हुए 75 साल से अधिक हो गए लेकिन उन्होंने खुद भी किसी मशीनरी का प्रयोग नहीं किया। अब वह खुद को और छात्रों को फिट रखने के लिए कुश्ती करने के लिए प्रेरित करते हैं। यही वजह है कि पलानी के अखाड़े में बूढ़े हों या जवान दोनों ही कुश्ती के दांवपेंच सिखने के लिए खींचे चले आते हैं।