सेबी ने म्यूचुअल फंडों का एक्सपेंस रेशो घटा दिया है। निवेशकों का पैसा मैनेज करने के लिए उनसे ली जाने वाली फीस को एक्सपेंस रेशो कहते हैं। सिक्यॉरिटीज मार्केट के रूल्स तोड़ने वालों के लिए कंसेंट मैकेनिजम में बदलाव, बड़ी कंपनियों के लिए डेट मार्केट से अनिवार्य तौर पर पैसा जुटाने के नियम के साथ बोर्ड मीटिंग में सेबी ने कई अन्य उपायों का भी ऐलान किया। सेबी के इन उपायों से म्यूचुअल फंड में निवेश की लागत कम होगी और छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा होगी। उसने एचआर खान समिति की सिफारिशों को भी मान लिया है, जिनमें एनआरआई और कुछ विदेशी फंडों के इनवेस्टमेंट पर लगाई गई कुछ पाबंदियों को हटाने की बात कही गई थी। इससे विदेशी निवेशकों की फिक्र दूर होगी, जिन्हें नियमों में सख्ती का डर परेशान कर रहा था। आपको बता दें साइज के आधार पर ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम्स के एक्सपेंस रेशो को घटाया गया है। 500 करोड़ रुपए तक मैनेज करने वाली स्कीम के लिए 2.25 पर्सेंट और 50 हजार करोड़ से अधिक एसेट्स वाले फंड्स के लिए 1.05 पर्सेंट का सालाना एक्सपेंस रेशो तय किया गया है। सेबी ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटरों को अपफ्रंट कमिशन देने पर भी रोक लगा दी है।