जयपुर।
समृद्ध भवन निर्माण,परंपरा,विरासत और संस्कृति की लिए जयपुर ( jaipur hindi news )की अपनी एक पहचान है। जयपुर के स्थापत्य,कला और संस्कृति पर यूनेस्को की भी मुहर लग गई है। यूनेस्को ने जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया है। ऐसे में पत्रिका ने एक मुहिम शुरू की है। ‘परकोटे की परिक्रमा’ इस परिक्रमा में परकोटे में और परकोटे से जुड़ी हर वो छोटी-बड़ी चीजों से आपको रूबरू कराएंगे। जो पहचान है जयपुर के हेरिटेज की इसी में आज आपको दिखा रहे हैं जयपुर की चारदिवारी यानि परकोटे और ब्रह्मपुरी के बाजारों के बारे में..देखिए वीड़ियो… UNESCO heritage city jaipur
जयपुर की बसावट के दौरान सवाई जयसिंह द्वितीय ने सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता किए। इसी को ध्यान में रखकर पूरे शहर के चारों ओर एक दिवार को निर्माण करवाया गया। जो करीबन तीस फीट उंची और उसकी चौड़ाई का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक समय में एक साथ दो घुड़सवाल उस पर गुजर सकते थे और वहां की निगरानी किया करते थे। इसी के साथ कुछ कुछ दूरी पर सुरक्षा बुर्ज भी बनाए गए ताकि हर समय पर उस पर सुरक्षाकर्मी रह सके। परकोटा करीबन नौ वर्गमील में फैला हुआ इसी से जयपुर के विस्तार का अनुमान लगाया जा सकता है और इसके परकोटे एरिया को परिभाषित किया जा सकता है। परकोटे में प्रवेश के लिए पांच दरवाजे बनाए गए थे,बाद में दो नए दरवाजे और बनाए गए। अब जयपुर में प्रवेश के लिए कुल मिलाकर सात दरवाजे हैं। जयपुर शहर में प्रवेश केवल सांगानेरी गेट और चांदपोल गेट से ही होता था और सूर्यास्त के बाद परकोटे में प्रवेश की अनुमति नहीं होती थी। इसके भीतर बाजार में खरीददारी और सामान बेचने के लिए दूर दराज और दूसरे राज्यों से लोग आते थे। जिनकी सूरक्षा का पुख्ता इंतजाम रहता था। वहीं ब्रह्मपुरी के बाजारों की बात की जाए तो ये भी बड़े प्राचीन बाजार हैं। इन ऐतिहासिक बाजारों को भी विकसित किया जाए तो यह भी शहर के अन्य बाजारों की तरह ही व्यवस्थित हो सकते हैं। इन बाजारों में भी सुविधाओ का आभाव है historical heritage of jaipur
लेकिन ये चार दीवारी आखिर है कहां,परकोटे की ऐतिहासिक दीवार पर सैंकडों अतिक्रमण है। कई जगह तो पूरी तरह से दीवार का अस्तिव ही खो चुका है। इसके बुर्ज के आस-पास अतिक्रमण से इसकी ऐतिहासिक विरासत पर खतरा मंडराने लगा है।