इतना जर्जर हो चुका है कि तीन कमरे में से दो कमरे तो कभी भी ढह सकते हैं। इसलिए एक कमरे में ही पहली से पांचवीं तक के बच्चों को एक साथ बिठाया जा रहा है। समझा जा सकता है कि शिक्षक खुद कितने मजबूर हैं। हालांकि इस सत्र भी वहां क्लास लगाने के पीछे मजबूरी स्कूल जतन योजना की ठेकेदार की लापरवाही का नतीजा है। क्योंकि जर्जर भवन को देखते हुए यहां स्कूल जतन योजना के तहत दो नए अतिरिक्त कक्ष भवन बनाने सालभर पहले स्वीकृति दी जा चुकी है। छह माह में भवन बनाकर देना था मगर सालभर बाद भी दोनों अतिरिक्त कक्ष का निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है। नए शिक्षा सत्र से पहले अगर अतिरिक्त भवन बनाकर स्कूल विभाग को मिल चुका होता तो आज मौत के साए में बचपन नहीं होता।