झालरापाटन. नगर के गोमती सागर तट स्थित गणेश बारी मंदिर सप्ताह में एक ही दिन बुधवार को दर्शन के लिए खुलता है। रियासत काल में जब नगर के चारों तरफ पर कोटे का निर्माण कराया जा रहा था, तभी से यहां भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान है। यहां की प्रतिमा काफी प्राचीन हैं। मंदिर परिसर में दो शिलालेख के अलावा दो छतरियां भी बनी हुई हैं। उन पर भगवान गणेश की प्रतिमा उत्कीर्ण है। मंदिर में गुफा और समाधिया भी बनी हुई है।
कई प्रतिमाएं हुई चोरी
बुजुर्ग लोग बताते हैं कि पहले गुफा के पास भगवान राम-जानकी के दर्शन होते थे, लेकिन यह प्रतिमाएं चोरी होने के बाद गुफा और गर्भ ग्रह अब खंडहर हो रहे हैं। कई दशक पहले मुखिया पंडित मदनलाल शर्मा यहां की सेवा पूजा करते थे। उनके निधन के बाद अब उनकी पीढ़ी के शांति बाई, मधु शर्मा, अनीता शर्मा बारी-बारी से प्रति माह सेवा पूजा करते हैं।
सुबह से शाम तक दर्शन करने वालों की भीड़
बुधवार के दिन मंदिर के पट दर्शन के लिए सुबह से लेकर शाम तक खोले जाते हैं। जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय के अलावा दूर दराज तक के श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि कई लोगों के वैवाहिक संबंध नहीं होने पर यहां की मनौती मानी जाती है और ऐसे परिवार के लोग मंदिर में दर्शन कर भगवान के यहां वैवाहिक संबंध के लिए अर्जी लगाते हैं। इस कारण इस मंदिर में कुंवारे लड़के और लड़कियों का आना जाना भी अधिक है।
सेवा पूजा के लिए मिलती है मामूली सहायता राशि
मधु शर्मा ने बताया कि देवस्थान विभाग की ओर से मंदिर में तेलभोग के नाम से सालाना 1200 रुपए दिए जाते हैं। मंदिर का एक हिस्सा जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। पिछले दिनों मंदिर की एक दीवार भी ढ़ह गई थी।