सुनेल. साहब तावड़ो तपबा लाग ग्यो, भरी दुपहरी मं तो हालत खराब हो जाव छ। मजदूर गर्मी में कस्या काम करे। छाया ना टेंट भी कोई न। कुछ इसी तरह की पीड़ा गर्मी बढऩे के साथ ही मनरेगा कार्य स्थलों पर सुनाई देने लगी है।
बढ़ती गर्मी के साथ ही तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है। भीषण गर्मी में जहां लोगों का घरों में रहना मुहाल होने लगा है, उस स्थिति में क्षेत्र के सैकड़ों लोग खुले आसमान तले आग उगलती सूर्य की किरणों के बीच मजदूरी कर रहे है। अपने परिवार की रोजी रोटी के बंदोबस्त के लिए मनरेगा योजना में मजदूरी कर रहे श्रमिकों की गर्मी बढऩे के साथ ही कार्य स्थलों पर हालत खस्ता होने लगी है।
ऐसी धूप में काम कर श्रमिकों की तबियत बिगडऩे की आशंका सताने लगी है। श्रमिक कार्य स्थलों पर सुविधाओं की कमी के बीच खुले आसमान तले मजदूरी करने को मजबूर है। सिर पर तपती धूप और पैरों में तपती धरा पर हाड़तौड़ मजदूरी कर रहे ऐसे सैकड़ों श्रमिक काम के दौरान कभी पेड़ों की छावं तलाशते है तो कभी बार-बार सूखते गले को तर करने के लिए गर्म पानी पीकर अपना गुजारा कर रहे है।
गौरतलब है कि स्थानीय ग्राम पंचायत पुराना तालाब गहरीकरण गणपत के खेत के पास नंबर 203 में मनरेगा के तहत चल रहे कार्य स्थल पर 11 बजकर 8 मिनट पर पत्रिका संवाददाता मौके पर पंहुची तो वहां कार्य स्थल पर टेंट नही लगा हुआ था। मेट पवन कुमार से पूछा तो जानकारी मिली कि कार्य स्थल पर पानी और दवाईयां आदि उपलब्ध नही है।
इस दौरान कार्य स्थल पर 115 श्रमिकों में से मात्र 109 श्रमिक कार्य कर रहे थे। श्रमिकों ने बताया कि कार्य स्थल पर पेयजल की व्यवस्था नही होने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कस्बे से लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी तय कर कार्यस्थल पर पहुंचना पड़ता है। अधिकतर श्रमिक घर से ही पीने का पानी भरकर लाते है, लेकिन गर्मी के कारण पानी गर्म हो जाता है।
वही ग्रेवल सम्पर्क सडक़ कनीराम गुर्जर के खेत से दिलीप सिंह के खेत तक में मनरेगा के तहत चल रहे कार्य स्थल पर टेंट नही लगा हुआ था। मौके पर दवाईयां और पानी उपलब्ध नही है। इसी प्रकार पुराना तालाब गहरीकरण कार्य हरिओम के खेत के पास मनरेगा के तहत चल रहे कार्य स्थल पर 11 बजकर 38 मिनट पर पत्रिका संवाददाता मौके पर पंहुची तो वहां कार्य स्थल पर टेंट नही लगा हुआ था। श्रमिकों से पूछा तो जानकारी मिली कि कार्य स्थल पर पानी और दवाईयां आदि उपलब्ध नही है। इस दौरान कार्य स्थल पर 120 श्रमिकों में से मात्र 116 श्रमिक कार्य कर रहे थे।
तंबू का कही अता पता नही
मनरेगा की शुरूआत के बाद वर्ष 2008-09 में सरकार ने पंचायतों में कार्य स्थलों पर छाया की सुविधा के लिए टैंट वितरित किए। दो-तीन सालों तक तो कार्य स्थलों पर टैंट लगे, लेकिन अब यह अधिकांश जगहों पर नही लगते। कई पंचायतों में तो टेंट फटकर नष्ट हो चुके है। मजबूरन कार्य स्थलों पर श्रमिकों को पेड़ों की छांव तले आराम करने पर विवश होना पड़ता है। टैंटों के अभाव में श्रमिकों को काफी परेशानी हो रही है।
नही थी दवाईयां
कार्यस्थल पर मेडिकट किट व्यवस्था नही थी। मेट पवन कुमार, कान्तीबाई श्रमिक रमेश नागर, दिलीप कुमार आदि श्रमिको से मेडिकल किट की पूछा तो इसकी जानकारी नही बता पाए। भीर्षण गर्मी में तबियत बिगड़ जाए तो चिकित्सा सुविधा के लिए अस्पताल मेेंं लाना पड़ेगा।
नही होता निरीक्षण
पंचायत समिति सुनेल क्षेत्र के सभी कार्यस्थलों के यही हाल है। यह स्थिति अधिकारियों की ओर से बेहतर कोर्डिनेशन के अभाव में तथा निरीक्षण नही होने से बन रही है। अधिकतर कार्यस्थल पर इस सीजन मेें कोई अधिकारी नही पंहुच है। जिससे कार्यस्थल पर कमियों और काम की गुणवत्ता का न तो उन्हें आभास है। न ही उसमें सुधार की कोई गुंजाइश नजर आ रही है। ऐसे में जरूरी है कि इन कार्य स्थल पर प्रशासिनक स्तर पर निरीक्षण हो और जो कमियां है, उन्हें दूर किया जाए।
निर्धारित फार्मूला, जो सभी जगह लागू हो
श्रमिकों ने बताया कि कार्यस्थल पर काफी कमियां है, लेकिन इन्हें दूर करने की जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की है। उनका कहना था कि मनरेगा योजना केन्द्र सरकार की है इसलिए इसके लिए पूरे देश में एक समान सिस्टम और मैनेजमैट की जरूरत है। केन्द्र स्तर पर चिकित्सा मंत्रालय की ओर से मनरेगा के लिए पूरे देश में एक समान मेडिकल किट की गाइडलाइन न जारी होनी चाहिए ताकि सभी जगह पर एक समान मेडिकल किट उपलब्ध हो।
सभी ग्राम पंचायतों में टेंट पिछले वर्ष ही नए खरीदे थे। वही सभी ग्राम विकास अधिकारियों एवं सरपंचों को आदेश जारी कर रखा है कि कार्य स्थल पर टेंट, पानी और मेडिकल किट उपलब्ध रहे।
संजय प्रतिहार, विकास अधिकारी, पंचायत समिति सुनेल