झालावाड़. जिले में भीषण बारिश या मौसम में बदलाव की जानकारी जिलेवासियों को समय से मिले, इसके लिए राजकीय पॉलिटेक्निक में मौसम केन्द्र जयपुर द्वारा आब्र्जवेटरी केन्द्र खोलना तय हुआ था। बाकायदा इसके लिए मौसम विभाग व राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज के बीच एमओयू साइन हुआ था। लेकिन पांच साल बाद भी इस केन्द्र की स्थापना नहीं होने से जिलेवासियों को समय पर सटीक जानकारी नहीं मिल पा रही है। अधिकारियों की उदासीनता के चलते सरकार ने सूचनाएं संकलित करने वाले सिस्टम के लिए अभी तक बजट जारी नहीं किया है।
इससे जिले के लोगों को भारी बारिश व सूखे, तेज हवा,नमी तथा भीषण गर्मी आदि की सूचनाएं नहीं मिल पा रही है। वहीं जिले में सिंचाई विभाग के पास भी मौसम का पूर्वानुमान और आंकलन का कोई साधन नहीं है। बारिश के आंकड़ों के लिए भी वह जलाशयों पर लगे गेज पर ही निर्भर है। उनमें से भी कई बांध से सही जानकारी नहीं मिल पाती है,ऐसे में जिले की जनता इधर-उधर से सुनकर या ऑनलाइन आधी-अधूरी जानकारी से ही काम चला रही है।
केवल बारिश नापता है विभाग-
जिले में मौसम की सटीक जानकारी देने वाला कोई अधिकृत अधिकारी नहीं है। जिले में सिंचाई विभाग साल में चार महीने सिर्फ बारिश ही मापता है, जिले में 15 जून से 30 सितंबर तक मानसून का दौर माना जाता है। इस दौरान ही जिले मेंं होने वाली बारिश और जलाशयों में पानी की आवक का विभाग प्रतिदिन का रेकॉर्ड तैयार करता है। लेकिन इसके लिए भी वो जलाशयों पर लगे गेज पर ही निर्भर है। कई बार जलाशयों के वास्तवित गेज और बारिश की सूचनाओं में फर्क भी मिलता है। जिले में कहीं भी वर्षामापी यंत्र लगे हुए नहीं है, ऐसे में इस मौसम केन्द्र की भी जिले में खासी जरुरत महसूस हो रही है।
यहां लगना था यंत्र-
जिले में मौसम की जानकारी के लिए पंाच वर्ष पहले केन्द्र खोलने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे थे, लेकिन अब तक केन्द्र की स्थापना नहीं होने से किसानो को मानसून की जानकारी भी समय पर नहीं मिल पाती है। जिले में मौसम विभाग जयपुर द्वारा केन्द्र की स्थापना जिले के पॉलिटेक्निक महाविद्यालय में की जानी थी। लेकिन पूना व दिल्ली से उपकरण के नाम पर मात्र कुछ पाइप व लॉग बुक ही आई है। यहां वैधशाला 10 गुणा 7 के एरिये में बनाई जानी थी।जिसमें विज्ञान व भूगोल की जानकारी रखने वाले एक-एक व्यक्ति की नियुक्ति भी की जानी है।
ये उपकरण आने है-
पॅालिटेक्निक महाविद्यालय में लगने वाले मौसम केन्द्र के लिए पूना से आने वाले स्टीवेशन स्टीम, रेन गेज, एनोमोमीटर, विंड स्पीड मापने का यंत्र, आद्र्रता मापने के लिए हाइग्रोमीटर आदि पूना से अभी तक नहीं आए है। इसके चलते केन्द्र स्थापित नहीं हो सका।
ये कहना है जिले के किसानों का
1. जिले में मौसम केन्द्र खुलना चाहिए जिससे जिले के किसानों को जिले के तापमान,बारिश व तेज सर्दी-गर्मी आदि की जानकारी समय-समय पर किसानों को मिल सके।
गोविन्द प्रसाद पाटीदार प्रगतिशील किसान, बकानी खेड़ा।
2.जिले में मौसम केन्द्र खुलना चाहिए ताकि किसानों को जिले में बारिश पूर्व अुनमान व तेज सर्दी व गर्मी की जानकारी होने से समय पर फसलों को बचा सके। इसके लिए पांच साल पहले एमआयू हुआ था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। सरकार को जल्द केन्द्र को चालू करना चाहिए।
राधेश्याम गुर्जर,प्रांत युवा प्रमुख, भारतीय किसान संघ।
स्टेशन खोलने का प्लान कर रहें-
हां ये बात सही है। झालावाड़ में सबसे ज्यादा बारिश होती है। झालावाड़ में हम ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन खोलने का प्लान कर रहे हैं। पूर्व में जो ऑब्र्जवेटरी स्टेशन के लिए एमओयू हुआ था उसके लिए कुछ उपकरण पूना से आए है। इसके बारे में पता करते हैं अभी क्या स्थिति है,क्यों स्थापित नहीं हो पाई।
राधेश्याम शर्मा, निदेशक, मौसम विभाग,जयपुर।