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झालावाड़

यहां 200 करोड़ से अ​धिक का है संतरों का कारोबार

उत्पादन के चलते राजस्थान के नागपुर के नाम से प्रसिद्ध

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झालावाड़. राजस्थान के नागपुर के नाम से प्रसिद्ध भवानीमंडी में संतरा न सिर्फ लोगों के जुबां पर चढ़ा हुआ है बल्कि 200 करोड़ के इस कारोबार से हजारों लोगों को भी रोजगार मिल रहा है। यहां के संतरों का स्वाद पूरे देश में पहचान बनाए हुए हैं। इसके चलते भवानीमंडी में रोजागार के साधन भी बढ़ रहे हैं। यहां दो तरह के संतरे की क्वॉलिटी आती है। सर्दी में आने वाला अम्बिया और गर्मी में आने वाला मृग कहलाता है। पूरे साल में करीब 5 हजार टन संतरा मण्डी में पहुंचता है। मंडी सूत्रों के अनुसार मण्डी में उत्पादन का 10 प्रतिशत माल ही आता है। शेष सीधे ही व्यापारी बगीचों से ले जाते हैंं।
ऐसे मिल रहा रोजगार
भवानीमंडी की संतरा मंडी देश में दूसरे स्थान पर है। राजस्थान में एक मात्र संतरा मंडी है। इसके चलते मंडी में एक हजार से अधिक श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट, कैंटीन, ढाबा के साथ ही आसपास के गांवों के लोगों को भी यहां रोजगार उपलब्ध हो रहा है। संतरों के पैकिंग कर बाहर भेजने के लिए पहले कैरेट्स बाहर से मंगवाने पड़ते थे। अब मांग को देखते हुए यहां दो फैक्ट्रियां शुरू हो गई है। इससे फैक्ट्री के काम के साथ ही यहां भी श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। पैंकिंग के समय चावल की घास का भी उपयोग करना पड़ता है। इसके चलते चावल उत्पादकों को भी फायदा हो रहा है।
तीन तरह के संतरों की छंटनी
मंडी में आने वाले संतरों की छंटनी तीन तरह की वैरायटी के आधार पर की जाती है। इसमें बड़ा, मध्यम और छोटा संतरा अलग निकाला जाता है। बड़े संतरे को बाहर भेजा जाता है। मध्यम संतरा शहरों में और छोटे संतरे को आसपास के गांवों और कस्बों में बेचा जाता है।
एक्सप्रेस-वे से जल्द पहुंचेगा माल
गौरतलब है कि वर्तमान में संतरों को बाहर भेजने के लिए काफी लम्बा मार्ग तय करना पड़ता है। हाल ही में एक्सप्रेस वे का भवानीमंडी के पास रतनपुरा नीमथूर से लेदी चौराहा होते हुए 21 किलोमीटर का मार्ग भवानीमंडी से जोडकऱ बनाया जाएगा। इससे व्यापारियों को आसानी होगी। कुछ दूरी पर ही एक्सप्रेस वे से संतरे जल्दी ही बाहर एक्सपोर्ट हो सकेंगे।

भवानीमंडी के संतरों की मांग पूरे देश में है। स्वाद की तुलना में यहां का संतरा अधिक अच्छा है। इसीलिए बाहर भी भवानीमंडी के संतरे को प्राथमिकता दी जाती है। मंडी में करीब 200 करोड़ का संतरे का कारोबार होता है, लेकिन काली मिस्सी रोग के कारण उत्पादन पर प्रभाव पड़ रहा है। किसानों में अब जागरूकता आने लगी है। दवा का छिडक़ाव भी कर रहे हैं। कृषि अधिकारियों को भी किसानों को समय-समय पर सलाह देते रहनी चाहिए।
आफताब चौधरी, संतरा व्यापारी, भवानीमंडी

नवम्बर माह में संतरा आना शुरू हो जाता है, जो मार्च तक रहता है। मंडी में नीलामी के बाद व्यापारी साधनों से इसे ले जाते हैं और अपने स्तर पर इसकी छंटनी कर बाहर भेजते हैं। यहां के संतरे की विशेषता अन्य जगहों से अलग है।
मोहम्मद हमीद, संतरा व्यापारी, भवानीमंडी

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