जोधपुर
सूरज के शहर की सीमाओं पर कमल का फूल पानी के अंदर भी दिख रहा था और पानी के बाहर भी खिल रहा था। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की शनिवार को जोधपुर के ग्रामीण अंचलों में निकली गौरव यात्रा भाजपा की अंदरूनी राजनीति के दौरान भी एेसे ही कुछ संदेश नजर आए। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत के बीच तब मतभेद नजर आए थे जब शेखावत को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाने की बात चली। इस दौरान उनका नाम इस पद के लिए साफ तौर पर फाइनल होता दिख रहा था, मगर वसुंधरा राजे की इस नाम पर सहमति नहीं थी। तब आम तौर पर दोनों के बीच मनमुटाव रहने की बातें खुल कर सामने आईं। हालांकि मुख्यमंत्री की पिछली यात्रा के दौरान शेखावत जोधपुर में उनके साथ दिखे थे। शेखावत गौरव यात्रा के मंच पर भी वसुंधरा राजे के साथ नजर आए, लेकिन लोगों ने उनके बीच की दूरियां ताड़़ लीं और इस दूरी के अपने हिसाब से राजनीतिक अर्थ भी निकाले। इस यात्रा के दौरान दोनों किसी बात पर खुल कर बात या मंत्रणा करते हुए नहीं दिखे। जबकि चुनावी राजनीति की सभाओं से पहले या सभाओं के दौरान दो बड़े नेताओं के बीच चुनावी चर्चा को सम्बंधित पार्टी की चुनावी राजनीति के लिए शुभ संकेत माना जाता है।
गायब हुआ केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत का नाम
जोधपुर में गौरव यात्रा के दौरान शेखाला पंचायत समिति के नए भवन के लोकार्पण पट्टिका पर केन्द्रीय राज्य मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत का नाम नहीं होने की बात कार्यक्रम से पहले ही चर्चा में रही। इसके बाद मुख्यमंत्री से सिर्फ फीता कटवाया गया। इस कारण पट्टिका का लोकार्पण नहीं हुआ। यह नाम न होना और पट्टिका का लोकार्पण न होना भी गौरव यात्रा के दौरान चर्चा का विषय रहा।
आम तौर पर लोकार्पण पट्टिका के अनावरण के मामले में एेसा तब होता है जब अतिथि नाम नहीं होता, लेकिन यहां तो अतिथि होते हुए भी पट्टिका का लोकार्पण नहीं ह़ुआ। सियासी तमाशबीनों ने एक बात और नोट की कि शेखावत के शेखाला पहुंचने के बाद उनके समर्थकों ने उनके समर्थन में नारे भी लगाए। वहीं वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा सभा स्थल पहुंचने के बाद भी उनके समर्थन में नारे लगे। कार्यकर्ताओं के नारों के बीच दोनों के बीच शक्ति प्रदर्शन और दोनों के बीच कोल्ड वार दिखाई दिया।
पट्टिका पर केवल मुख्यमंत्री और शेरगढ़ विधायक बाबूसिंह राठौड़ का ही नाम था। इसे दूसरे नजरिये से देखने वाले प्रेक्षकों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री शेखावत का नाम न होने को गंभीरता से लेते हुए पट्टिका का अनावरण न कर यह संदेश दिया कि जोधपुर के सांसद की उपेक्षा स्वीकार्य नहीं है। उधर राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा रही कि यह बात जब पिछले कई दिनों से चर्चा का विषय थी तो पट्टिका पर शेखावत का नाम बाद में भी लिखवाया जा सकता था। बहरहाल वसुंधरा राजे और शेखावत का यह मतभेद जनता और कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय रहा।