कानपुर। अनुसूचित जाति-जनजाति (संशोधन) विधेयक का विरोध कर रहे भागवत वक्ता देवकीनन्दन ठाकुर ने मोतीझील में कथा के अंतिम दिन राम से लेकर आरक्षण तक पर बोले। मंदिर निर्माण के लिए पदयात्रा निकाली तो मुस्लिम पक्षकारों से कोर्ट से मुकदमा वापस लेने की फरियाद की। महाराज ने एससी-एसटी एक्ट पर बीजेपी पर भी जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि बीजेपी जब केंद्र में नहीं होती है तो सवर्णों से भीख मांगती है और जब केंद्र में आ जाती है, तो सवर्णों को भूल जाती है। आगरा में हुई गिरफ्तारी के सवाल पर उन्होंने कहा यदि मुझे राजनीति करनी होती या पार्टी बनानी होती, तो जब मुझे हिरासत में लिया गया तब मैं कुछ करता। वह सबसे अच्छा मौका था। पूरा देश मेरे साथ था, पर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। मैं कुछ दिन बाद ही कथा कहने के लिए अमेरिका चला गया।
बांट कर सेंक रहे सियासी रोटी
देवकीनंदन ने कहा कि हम नहीं चाहते कि भारत जाति-धर्म के नाम पर बंटे, पर राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेंकने के लिए हमें बांट रहे हैं। जब हमने इसका विरोध किया तो पुलिस ने हमें गिरफ्तार कर लिया। हमें अनजान नंबरों से फोन पर जान से मारने की धमकियां मिलीं। बावजूद हम डटे रहे। हम बीजेपी को अन्य दलों के मुकाबले बेहतर पार्टी मानते थे। क्योंकि वहां जाति-धर्म के नाम पर कभी सियासत नहीं हुई। पर अब बीजेपी बदली-बदली नजर आती है। चाहे राममंदिर का मामला हो या एससी-एसटी एक्ट का। पूरा देश चाहता है कि अयोध्या में राममंदिर बनें, पर सत्ताधारी दल के नेता मौन धारण किए हुए हैं। लेकिन अब सत्ता में वही रहेगा जो मंदिर बनवाएगा।
मैं दलित विरोधी नहीं
एससी-एसटी एक्ट में हुए परिवर्तन के लिए उन्होंने कहा कि मैं इस एक्ट का विरोध नहीं कर रहा हूं। मेरा कहना है कि बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए, जांच के बाद ही गिरफ्तारी होनी चाहिए। मैं दलित भाइयों के विरोध में नहीं हूं, और सवर्ण भाइयों का साथ भी नहीं छोड़ा है। देवकीनंदन ने कहा नेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए समाज को बांट रहे हैं। उन्होंने नेताओं पर देश को बांटने के आरोप लगाये। अब वक्त आ गया है कि हमें जाति से ऊपर हटकर देश के बारे में सोचना होगा। जो भी दल जाति के नाम पर वोट मांगे उसे सत्ता से बेदखल करें।
अभी भी गंगा मैली
गंगा नदी में प्रदूषण पर देवकी नंदन ठाकुर ने कहा गंगा सिर्फ एक नदी नही हैं। यह हमारी जीवन धारा है। यह हमारी संस्कृति और हजारों साल पुरानी हिन्दू सभ्यता का प्रमाण है। गंगा को साफ करने में सरकार ने अरबों रुपये पानी की तरह बहा दिए पर इसका कोई नतीजा नहीं निकला। कानपुर में गंगा की हालत देख कर मन द्रवित हो जाता है। कैसे यहां के लोग अपना मल मूत्र जीवनदायनी नदी में प्रवाहित होने दे सकते हैं। गंगा नदी में प्रदूषण को दूर करने के लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।