23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

करौली

No video available

अस्पताल में ऑक्सीजन के दो प्लांट हुए ठप, तीसरे से नहीं मिल रही शुद्ध प्राणवायु

हिण्डौनसिटी. जिला चिकित्सालय में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट भर्ती रोगियों को समुचित प्राणवायु नहीं दे पा रहे हैं। अस्पताल परिसर में स्थित दो प्लांट दो माह से बंद पड़े हैं। वहीं तीसरे में उत्पादित ऑक्सजन की शुद्धता चिकित्सकीय मानकों पर खरी नहीं है। ऐसे में सिलिकोसिस व फेफड़ों से संबंधी रोगियों की उखड़ती सांसों को संवारने के लिए निजी प्लांट से सिलेण्डर मंगवाने पड़ रहे हैं। जिनसे मैनीफोल्ड यूनिट के जरिए वार्डों में ऑक्सीजन की आपूर्ति दी जा रही है।

Google source verification

हिण्डौनसिटी. जिला चिकित्सालय में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट भर्ती रोगियों को समुचित प्राणवायु नहीं दे पा रहे हैं। अस्पताल परिसर में स्थित दो प्लांट दो माह से बंद पड़े हैं। वहीं तीसरे में उत्पादित ऑक्सजन की शुद्धता चिकित्सकीय मानकों पर खरी नहीं है। ऐसे में सिलिकोसिस व फेफड़ों से संबंधी रोगियों की उखड़ती सांसों को संवारने के लिए निजी प्लांट से सिलेण्डर मंगवाने पड़ रहे हैं। जिनसे मैनीफोल्ड यूनिट के जरिए वार्डों में ऑक्सीजन की आपूर्ति दी जा रही है।

दरअसल राज्य सरकार ने चिकित्सालय में उपचार प्रबंधन के सुद़ृढ़ीकरण के तहत वर्ष 2021 व 2022 में 24, 75 और 100 सिलेण्डर क्षमता के ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कराए थे। इससे चिकित्सालय में प्रतिदिन 199 सिलेण्डर ऑक्सीजन उत्पादन शुरू हो गया। लेकिन ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने वाली कम्पनियों की ओर से रखरखाव का समुचित प्रबंध नहीं करने से ऑक्सीजन प्लांट 5-6 माह चलने के बाद बंद हो गए। बार-बार मरम्मत कराने पर एकाध माह संचालन के बाद ठप हो रहे ऑक्सीजन प्लांट बीते वर्ष वारंटी अवधि से पार हो गए। इससे कम्पनियां ने भी नि:शुल्क मरम्मत करने से इनकार कर दिया। ऐसे में बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांटों की मरम्मत और रखरखाव के लिए सरकार ने नई दिल्ली की जीएसएस कम्पनी को राज्य स्तर पर तीन वर्ष का अनुबंध किया।

कम्पनी के पीएसएस इंजीनियरों की नियमित देखरेख से प्लांट 4-5 महीने संचालित होने के बाद फिर से गड़बड़ाने लगे। आए दिन मशीनरी में खराबी व तकनीकि सिस्टम गड़बड़ाने से धवन ब्रोकस इंटर प्राइजेज नई दिल्ली का 75 सिलेण्डर व यूनेसी लिमिटेड का 24 सिलेण्डर क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट दो माह से बंद पड़ा है। चिकित्सालय में वर्तमान में रील कम्पनी का 100 सिलेण्डर क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट संचालित है, लेकिन उसमें 75-80 प्रतिशत शुद्धता की ऑक्सीजन उत्पादन हो रहा है। जो चिकित्सकीय मानकों के अनुरूप गंभीर फेफड़े रोग से पीड़ितों के लिए उपयुक्त नहीं है। ऐसे में रोगियों को मानकों के अनुरूप शुद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए निजी कम्पनी से सिलेण्डर मंगवाने पड़ रहे हैं।  बैकअप में रखते 25 सिलेण्डर: चिकि त्सालय के पीएसए प्लांट तकनीशियन पिंटू कुमार योगी ने बताया कि चिकित्सायल में 52 सिलणे्डर हैं। मुख्य मैनी फोल्ड यूनिट में हमेशा25 सिलेण्डरों का बैकअप रखा जाता है। इसके अलावा तीन मैनीफोल्ड व एक आपात मैनीफोल्ड भी स्थापित है।

हर रोज खप रहे 25 सिलेण्डर

प्लांटों से ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं होने से चिकित्सालय में सिलेण्डरों से मैनीफोल्ड के जरिए आपूर्ति की जा रही है। ऑक्सीजन की जरूरत आईसीयू, एसएनसीयू व मेडिकल वार्ड में पड़ती है। जिससे प्रतिदिन 6200 लीटर क्षमता के 20-25 सिलेण्डर रीत रहे हैं। ऐसे में प्रति दिन करौली के निजी ऑक्सीजन प्लांट से सिलेण्डरों को रिफिल कर मंगवाया जा रहा है। जिस पर प्रतिमाह कई लाख रुपए खर्च हो रहे हैं।

23 में से 14 सिलिकोसिस रोगी

चिकित्सालय सूत्रों के अनुसार अस्पताल के मेडिकल वार्ड सिलिकोसिस रोगियों के भर्ती रहने से सर्वाधिक ऑक्सीजन की खपत है। मंगलवार को 25 पलंग क्षमता के वार्ड में भर्ती 23 रोगियों में से 14 रोगी सिलिकोसिस व फेंफडे रोगों से संबंधित थे। गौरतलब है कि वार्ड में सिलिकोसिस रोगी का औसत ठहराव 15-20 दिन होता है।

इनका कहना है

ऑक्सीजन प्लांटों की मरम्मत के लिए सरकार से अनुबंधित कम्पनी जीकेएस नई दिल्ली को लिखा गया है। पीएसए इंजीनियरों से भी बात हुुई है। एक-दो दिन में बंद पड़े प्लांटों की मरम्मत के लिए टीम आने की उम्मीद है। रील के प्लांट को ऑक्सीजन की शुद्धता को ठीक कराया जाएगा।

पुष्पेंद्र कुमार गुप्ता, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी जिला चिकित्सालय, हिण्डौनसिटी।

फैक्ट फाइल

ऑक्सीजन क्षमता स्थिति प्लांट सिलेण्डर

रील 100 शुद्धता कम धवन ब्रोकस 75 बंद

यूनेसी 24 बंद