हिण्डौनसिटी. विश्व मधुमेह दिवस पर शुक्रवार को राजस्थान पत्रिका के सामाजिक सरोकारों के तहत निर्मल महाविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में चिकित्सकों ने विद्यार्थियों और शिक्षकों को मधुमेह के बढ़ते खतरे और उससे बचाव के उपायों के बारे में जानकारी दी। संगोष्ठी में जिला चिकित्सालय के फिजिशियन डॉ. अंकुश अग्रवाल ने कहा कि यदि किसी को बार-बार पेशाब लगना, प्यास लगना, शरीर में दर्द या कमजोरी रहना, गला सूखना, आंखों की रोशनी कमजोर होना, वजन का अचानक बढ़ना या घटना, और लगातार थकान महसूस होती है तो ये डायबिटीज के लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि मधुमेह आज तेजी से फैलने वाला रोग बन चुका है। उन्होंने प्री-डायबिटीज के लक्षण और उपचार पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यदि समय रहते सतर्कता बरती जाए तो इस रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जैसे ही डायबिटीज के शुरुआती लक्षण दिखाई दें, व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में सुधार करना चाहिए। उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें भी इस रोग को लेकर गंभीर हैं। इसके लिए जिला चिकित्सालय में एनसीडी क्लीनिक और मिशन मधुहारी संचालित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को जंक फूड से परहेज, नियमित योग-प्राणायाम और तनावमुक्त जीवन अपनाना चाहिए। श्रम रहित जीवनशैली और तनाव, डायबिटीज के प्रमुख कारण बन गए हैं। इस दौरान डॉ. आशीष अवस्थी ने ग्लूकोमीटर से डायबिटीज जांच और रेपिड रिपोर्ट की प्रक्रिया का डेमोस्ट्रेशन कर उपस्थित लोगों को जागरूक किया। उन्होंने बताया कि नियमित जांच से रोग की पहचान समय रहते हो
जिज्ञासाएं की शांत
संगोष्ठी में छात्राध्यापक और छात्राध्यापिकाओं ने चिकित्सकों से सवाल पूछकर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया। छात्रा रानी गोयल व छात्र अजय गुप्ता, लोकेश बेनीवाल ने डायबिटीज के आनुवंशिकता व तनाव से जुड़ाव होने के बारे में सवाल पूछे। चिकित्सक ने बताया कि डायबिटीज से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनावमुक्त जीवनशैली। यदि लोग इन एहतियातों को अपनाएं तो मधुमेह जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।