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खंडवा

गर्मी आते ही रेलवे में लग रही ठंडे की बोली

मिनी पेंट्री के ठेकेदारों ने दिया पेटी पर ठेका, यात्री ट्रेन में सवार हो रहे अनगिनत वेंडर

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खंडवा. गर्मी के दिन शुरू होते ही रेलवे में ठंडे की बोली लगना शुरू हो गया है। ठंडा मतलब ऐसे पेय पदार्थ जिन्हें यात्री ट्रेनों में बेचने की अनुमति रेलवे देता है। इसके लिए रेलवे ने यात्री ट्रेनों में चल रही पेंट्री कार के अलावा मिनी पेंट्री की सुविधा दी है। इसके ठेके मंडल और जोन स्तर पर होते हैं। बड़े स्तर पर ठेका लेने वालों ने पेटी कांट्रेक्ट पर ऐसे लोगों को काम दिया है, जिनके पास वेंडर की टीम है। अब यही पेटी कांट्रेक्टर इस ठेके को अपने से छोटे वेंडर को पेटी पर दे रहे हैं। ऐसे में ठंडे की बोली बढ़ती जा रही है और इन सब के बीच यात्री ट्रेनों में अनगिनत वेंडर चक्कर काट रहे हैं।
ठेके के साथ बिक रही गाडि़यां
रेलवे सूत्र बता रहे हैं कि ठंडा पेय पदार्थ बेचने का पेटी पर पेटी ठेका देने वाले अब आमदनी बढ़ाने के लिए गाडि़यों का सौदा भी कर रहे हैं। यानि किस गाड़ी में किस वेंडर की टीम कहां से कहां तक चलेगी, यह भी अपने स्तर पर तय कर लिया जा रहा है। जबकि रेलवे के नियमों में मिनी पेंट्री के वेंडर का सेक्शन तय है।
बाहर से लाते हैं सामग्री
मिनी पेंट्री के वेंडर को रेल आहार या फिर रेलवे स्टेशन पर चचालित कैंटीन से ही सामग्री लेने के नियम हैं। लेकिन भुसावल और इटारसी के बीच मिनी पेंट्री के वेंडर बाहर से पेय पदार्थ और खाद्य सामग्री लाकर ट्रेनों में बेच रहे हैं। एक यह बात भी सामने आई है कि मिनी पेंट्री के वेंडर्स की भरमार का असर ट्रेन की पेंट्री कार पर भी पड़ रहा है। इससे विवाद के हालात बनने लगे हैं।
आउटर से जनरल कोच
हाल ही में एसपी रेल हितेश चौधरी के जन संवाद में खुद खंडवा के स्टेशन अधीक्षक जीएल मीणा बता चुके हैं कि खंडवा के दोनों ओर आउटर पर ट्रेन रुकती हैं, जहां से वेंडर कोच बदलते हैं और यहीं से अवैध वेंडर भी चढ़ना उतरना करते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि यहां रेल पुलिस के जवान की ड्यूटी तय रहती है, इसके बावजूद यह गफलत हमेशा से हो रही है। सूत्र बताते हैं कि आउटर से ही मिनी पेंट्री के वेंडर जनरल कोच में सवार होकर सामग्री बेचते हैं। जबकि यह नियम विरूद्ध है।
गिनती करने वाला कोई नहीं
मिनी पेंट्री के नाम पर लाल और हरी टीशर्ट वाले वेंडर यात्री ट्रेन में सवार होते हैं। किस ठेके में कितने वेंडर्स की अनुमति है, यह जांचने वाला कोई नहीं। बस इनकी टीशर्ट का रंग देखकर ही अंदाजा लगार लिया जाता है कि वह मिनी पेंट्री वाला है। सूत्रों का कहना है कि टीशर्ट की आड़ में तय से कई गुना ज्यादा वेंडर अवैध तरीके से यात्री ट्रेन में चल रहे हैं। इनकी ओर ना तो सुरक्षा बल की नजर है और ना ही वाणिज्य विभाग देख रहा।